________________ विश्वकृद् विश्वरूपश्च विश्वव्यापी विधु विधि:५२।.. विश्वशीर्षो५३ नमद्विश्वो विश्वाधारश्च५ विश्वसू:५६ // 9 // विश्वम्भर[:]५७ शिवो- विश्वावतारो५९ विश्वदर्पण:६० / विश्वख्यातोपर जयोर मृत्युञ्जयो मृत्युनिवारण:६४ // 10 // सर्वादि:६५ सर्वग:६६ सर्वजनीन:६७ सर्वदर्शन:६८।। सुश्रुत:६९ सुस्थित: सुस्थ: पुराण:७२ प्राक्तनो विभुः // 11 // विधिशेषो विधेः सार:५६ परो विधि-निषेधतः / प्रशान्तवाह्य निर्वाच्यौ९ विसभागपरिक्षयी . ___ // 12 // अपदो ऽनक्षरो 2 ऽनिच्छो 3 ह्यतव्यावृत्तिलक्षण:४। ब्रह्मचर्यफलीभूतो ब्रह्मा 6 ब्रह्मपदस्थित:५७ ... // 13 // आत्मवान् वेदवान् विष्णु ब्रह्मवान् ब्रह्मसम्भव:९२ / सूक्ष्म:९३ परात्परो जेता५ जयी 6 सर्वमलोज्झित:९७ // 14 // उपासनानां फलद८ उपास्यत्वेन देशित:९ / सर्वाविप्रतिपन्नश्च कृषीष्ट कुशलानि नः // 15 // द्वितीयशतकप्रकाशः धर्मविद्धर्मकृद्धर्मी धर्मात्मा धर्मदेशक:। . सुधर्मा धर्मदो धर्मनायको धर्मसारथिः दशधर्मा० ऽनन्तर्धा१ धर्मसार:१२ स्वधर्मग:१३ / परधर्मविनिर्मुक्तो धर्मप्रापी५ विधर्मभूत्१६ // 2 // धर्मचक्री महाधर्मा८ धर्ममूर्ति:१९ सुधर्मदृग् / धर्माङ्गो२१ धर्मसन्न्यासी२२ धर्माधर्मविवर्जित:२३ धर्मोत्तरो२४ धर्मकीर्ति२५ धर्ममुद्६ धर्ममण्डल:२७ / / धर्मानोघा२८ धर्ममौलि२९ र्धर्माग्रो धर्मशासन:३१ 216 . // 1 // // 3 // // 4 //