________________ कृत्वा स्तुतिस्रजमिमां, यदवापि शुभाशयान्मया कुशलम् / तेन मम जन्मबीजे, रागद्वेषौ विलीयेताम् // 2 // सूर्याचन्द्रमसौ याव-दुदयेते नभस्तले / तावन्नन्दत्वयं ग्रन्थो, वाच्यमानो विचक्षणैः // 3 // // सिद्धसहस्त्रनामकोशः // ऐन्द्री श्रीः प्रणिधानस्य फलं यस्यानुषङ्गिकम् / मुख्यं महोदयप्राप्तिस्तं सिद्धं प्रणिदध्महे // 1 // तस्याष्टसहस्राख्यास्मरणं शरणं सताम् / मङ्गलानां च सर्वेषां परमं मङ्गलं स्मृतम् // 2 // . प्रथमशतकप्रकाशः . अनादिशुद्धः शुद्धात्मा' स्वयंज्योति: स्वयम्प्रभुः / केवलः५ केवली ज्ञानी केवलात्मा कलोज्झित:९ // 3 // सार्द्धसत्त्रिकलातीतो ऽन्यूनाधिक-कलानिधि:१२ / अनन्तदृग'२ नन्तात्मा ३ऽनन्तप्राप्ति४ रनन्तजित्५ परमेष्ठी१६ परब्रह्म परमात्मा१८ सनातन:१९ / सदाशिवः२० परंज्योति१ धुंव:२२ सिद्धो२३ निरञ्जन:२४ // 5 // अनन्तरूपो२५ऽनन्ताख्य स्तथारूप स्तथागत:२८ / यथारूपो२९ यथाजातो यथाख्यातो यथास्थित:३२ // 6 // लोकाग्रमौलि३ र्लोकेशो लोकालोक-विलोकक:३५ / लोकेड्यो३६ लोकपो३७ लोकत्रातो८ लोकाग्रशेखर:३९ / विश्वदृग् विश्वतश्चक्षुः विश्वतः पाणि 2 रात्मभू:४३ / / स्वयम्भू विश्वतोबाहु५ विश्वात्मा 6 विश्वतोमुख:४७ 215 // 4 // // 7 // // 8 //