________________ // 5 // // 6 // // 7 // // 8 // // 9 // // 10 // धर्मक्षमी२२ धर्ममृदु३ धर्मर्जु३४ धर्मसंयमः५ / धर्मसत्यो६ धर्मतपा धर्मब्रह्मा- शुचिस्ततः धर्मत्यागी धर्ममुक्ति धर्मस्थो धर्मशाश्वत:४३ / धर्मलभ्यो धर्मसेव्यो५ धर्मश्रद्धावशंवद:४६ धर्मधातु:४७ क्षमाधातु:४८ श्रद्धाधातु रधातुभाग / श्रीपातश्च निपातश्च हीपात:५३ पातकक्षयी५४ श्रेष्ठ:५५ स्थविष्ठ:५६ स्थविरो५७ ज्येष्ठ:५८ प्रेष्ठ:५९ पुरोहित:६० / गरिष्ठधी६१ ररिष्टच्छि बहिष्ठोप३ निष्ठ एव च व्योममूर्ति५ रमूर्तिश्चा६ न्तरिक्षात्मा६७ नभोमय:६८ / गगनात्मा९ महाकाश श्चाम्बरात्मा निरम्बर:७२ सुयज्वा३ यज्ञपुरुषो यज्ञाङ्ग५ ममृतं०६ हवि:।। धर्मयज्ञो महावीरो७९ यजमानो नियाजभाग-१ मन्त्रमूर्ति मन्त्रबीजं३ मन्त्रन्यानश्च 4 मन्त्रराट्५ / महामन्त्री मन्त्रपति ध(धर्मस्थानं सुमन्त्रभू: 9 चिन्मन्त्रो मन्त्रसंस्थानो मन्त्रेड्यो मन्त्रपूजित:९३ / मन्त्रमात्र:९४ स्फुरन्मन्त्रो५ मन्त्रदेवश्च६ मान्त्रिक:९७ पञ्चमङ्गलमन्त्रश्च सर्वमन्त्रावतारवान्। . मन्त्रे प्रत्यक्षरूपो२०० यस्तस्मै भगवते नमः . . .. तृतीयशतकप्रकाशः जगन्नाथो जगज्ज्येष्ठो जगत्स्वामी जगत्पिता / जगन्नेता जगद्भर्ता जगबन्धु र्जगद्गुरुः जगत्त्राता जगत्पाता जगद्रक्षो जगत्सख:१२ / जगदीशो३ जगत्स्रष्टा४ जगद्वन्द्यो५ जगद्धित:१६ 217 // 11 // // 12 // // 13 // // 2 //