________________ // 120 // // 121 // // 122 // // 123 // // 124 // // 125 // तुच्छमवलंबमाणो, पडइ णिरालंबणो य दुग्गम्मि / सालंबणिरालंबे, अह दिद्रुतो णिसेवंते जत्तो च्चिय पासत्थे, चारित्तं होइ भावभेएणं / वंदणयमणुण्णायं, इत्तो च्चिय भावकारणओ दंसणनाणचरित्तं, तवविणयं जत्थ जत्तियं पासे / जिणपन्नत्तं भत्तीइ पूयए तं तहिं भावं उस्सग्गओ अ एयं, पडिसिद्धं गच्छमेरमहिगिच्च / इत्थं च णत्थि दोसो, सेढिट्ठाणे वि जं भयणा पासत्थस्स ण चरणं, तम्हा णिद्धंधसस्स लुद्धस्स / गुरुणिस्सियस्स इण्डिं, चरणं पुण असढभावस्स गीयत्थपारतंता, वक्कजडत्ते वि दढपइन्नाए। . एयस्स णत्थि हाणी, पुव्वायरिएहिं जं भणियं एवंविहाण वि इहं, चरणं दिटुं तिलोगनाहेहिं / जोगाण सुहो भावो, जम्हां एएसि सुद्धो उ . अथिरो अ होइ भावो, सहकारिवसेण ण पुण तं हणइ / जलणा जायइ उण्हं, वज्ज ण उ चयइ तत्तं पि सीलंगाण वि एवं, विगलत्तं णत्थि विरइभावेणं / इहरा कयाइ हुज्ज वि, भणियं जं पुव्वसूरीहिं एयं च एत्थ रूवं, विरईभावं पडुच्च दट्ठव्वं / ण उ बज्झं पि पवित्तिं, जं सा भावं विणा वि भवे अच्चंतणिसेहत्थं, आउक्कायाइसेवणे भणिअं। मिच्छत्तं णिच्छयओ, तं पुण अण्णस्स भंगे वि जो जहवायं ण कुणइ, मिच्छद्दिवी तओ हु को अन्नो / वड्इ अ मिच्छत्तं, परस्स संकं जणेमाणो 11 // 126 // // 127 // // 128 // // 129 // // 130 // // 131 //