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________________ // 96 // // 97 // // 98 // // 99 // // 100 // // 101 // असमाहिट्ठाणा खलु, सबला य परीसहा य मोहम्मि / पलिओवमसागरोवमपरिमाण तओ असंखिज्जा तेहिँ विरोहो संजम-ठाणाणं तेण संजमो कत्तो। भन्नडू अपसत्थत्ता, असंजमो संजमो चेव संजलणाणं उदया, दुवालसण्हं पुणो खओवसमा। अवकिट्ठज्झवसाए, सबलचरित्तस्स णिप्फत्ती कम्मोदयभेअकओ, पइठाणमइक्कमाइओ भेओ। देसजयत्तं हुज्जा, अविरइलेसे तु संतम्मि छेअस्स जाव दाणं, तावयमेगं पि णो अइक्कमइ / एगं अइक्कमंतो, अइक्कमे पंच मूलेणं / नणु पासत्थाईणं, चारित्तं होइ एवमपडिहयं / . पायच्छित्तं मूलं, भयणाए जेण तेसिं पि अस्थि य से सावसेसं, जइ नत्थि मूलमत्थि तवछेया। थोवं जइ आवन्नो, पडितप्पइ साहुणो सुद्धो भणिअं च कप्पभासे, पासत्थाईणं सेढिबज्झत्तं / किइकम्मस्सऽहिगारे, एयं खलु दुद्धरविरोहं भन्नइ सेढीबज्झा, भणिया कप्पम्मि ते उ ववहारा / उववाइअंच तत्तं, विभज्ज सक्खं तहिं उवरिं लिंगेण णिग्गओ जो, पागडलिंग धरेइ जो समणो। किह होई णिग्गउ त्ति य, दिटुंतो सक्करकुडेहिं दाउं अहे उ खारं, सव्वत्तो कंटिआहिं वेढित्ता / सकवाडमणाबाधे, पालेइ तिसंझमिक्खंतो मुदं अविद्दवंती-हिँ कीडिआहिं सचालणी चेव। जज्जरिओ कालेणं, पमायकुडए निवे दंडो // 102 // // 103 // // 104 // // 105 // // 106 // // 107 //
SR No.004455
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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