________________ // 84 // // 85 // // 86 // ' गुण वा // 87 // .. // 88 // // 89 // मूलगुणाणइयारा, खिप्पं उत्तरगुणे णिहंतूणं। चरणं हणंति इयरे, कालेणं मूलगुणघाया तम्हा दोसु वि णियमा, भावविसुद्धेसु संजमो होइ। एवं च इमं णेयं, इमाहि ववहारगाहार्हि - मूलइयारे चेयं, पच्छित्तं होइ उत्तरगुणे य। तम्हा खलु मूलगुणे, णइक्कमे उत्तरगुणे वा मूलव्वयाइआरा, जयसुद्धा चरणभंसगा हुंति / उत्तरगुणातियारा, जिणसासणि किं पडिक्कुट्ठा उत्तरगुणातियारा, जयसुद्धा चरणभंसगा हुति / मूलव्वयातियारा, जिणसासणि किं पडिक्कुट्ठा मूलगुण उत्तरगुणा, जम्हा भंसंति चरणसेढीओ। तम्हा जिणेहिं दोणि वि, पडिसिद्धा सव्वसाहूणं अग्गग्घाओ मूलं, मूलग्घाओ अ अग्गयं हंति / तम्हा खलु मूलगुणा, ण संति ण य उत्तरगुणा य चोअग ! छक्कायाणं, तु संजमो जा ऽणुधावए ताव। मूलगुण उत्तरगुणा, दोण्णि वि अणुधावए ताव इत्तरसामाइअछेयसंजमा तह दुवे णियंठा य। बउसपडिसेवगा ता, अणुसज्जंते य जा तित्थं / मूलगुण दइअसगडे, उत्तरगुण मंडवे सरिसवाई। छक्कायरक्खणट्ठा, दोसु वि सुद्धे चरणसुद्धी पिंडस्स जा विसोही, समिईओ भावणा तवो दुविहो। . पडिमा अभिग्गहा वि य, उत्तरगुण मो वियाणाहि नणु चरणस्साभंगं, पायच्छित्तस्स भावओ भणह। . तमसंजमठाणकयं, तेऽसंखिज्जा जओऽभिहियं . // 90 // // 91 // // 92 // // 93 // // 94 // // 95 //