________________ // 81 // - // 82 // // 83 // // 84 // // 85 // // 86 // ये सीदन्ति क्रियाभ्यासे ज्ञानमात्राभिमानिनः / निश्चयानिश्चयं नैते जानन्तीति श्रुते स्मृतम् इष्टः शब्दनयैर्भावो निक्षेपा निखिलाः परैः / मतं मङ्गलवादेऽन्यद्भिदां द्रव्याथिके त्रये द्रव्यार्थे गुणवाञ्जीवः पर्यायार्थे च तद्गुणः / सामायिकमिति प्रोक्तं यदिशावश्यकादिषु घटोपयोगरूपो वा 'भावो द्रव्याथिकेऽमतः / तेन तत्र त्रयं प्रोक्तमिति जानीमहे वयम् तत्र नामघट: प्रोक्तो घटनाम्ना पटादिकः / तच्चित्रं स्थापनाद्रव्यं मृद्भावो रक्तिमादिकः एकद्रव्येऽप्यात्मनामाकृतिकारणकार्यताः / पुरस्कृत्य महाभाष्ये दिष्टा पक्षान्तरेण ते अप्रज्ञाप्याभिधाद्रव्यजीवद्रव्याद्ययोगतः / न चाव्यापित्वमेतेषां तत्तद्भेदनिवेशतः इतीयं प्रायिकी व्याप्तिरभियुक्तैर्निरूप्यते / यत्तत्पदाभ्यां व्याप्तिश्चानुयोगद्वारनिश्चिता आदिष्टजीवद्रव्याभ्यां द्रव्यन्यासस्य संभवम् / / अप्रज्ञाप्ये जिनप्रज्ञानाम्नश्च ब्रुवते परे तच्चिन्त्यमुपयोगो यन्नाम द्रव्यार्थिकस्य न / नरादेव्यजीवत्वे सिद्धे स्याद्भावजीवता आदिष्टद्रव्यहेतुत्वाद्रव्यद्रव्यप्रतिश्रुतौ / भावद्रव्यं न किंचित् स्याद्गुणेऽपि द्रव्यतार्पणात् अन्ये तु द्रव्यजीवो धीसंन्यस्तगुणपर्ययः / तदसन्नधिया तेषां संन्यासः स्यात्सतां यतः // 87 // // 88 // // 89 // // 90 // // 91 // // 92 // 146