________________ // 33 // // 34 // // 35 // . // 36 // // 37 // // 38 // विशेषिततरः शब्दः प्रत्युत्पन्नाश्रयो नयः / तरप्प्रत्ययनिर्देशाद्विशेषिततमेऽगतिः .. ऋजुसूत्राद्विशेषोऽस्य भावमात्राभिमानतः / सप्तभङ्ग्यर्पणाल्लिङ्गभेदादेवार्थभेदतः सामानाधिकरण्यं चेन्न विकारापरार्थयोः / भिन्नलिङ्गवचःसंख्यारूपशब्देषु तत्कथम् नयः समभिरूढोऽसौं यः सत्स्वर्थेष्वसंक्रमः / शब्दभेदेऽर्थभेदस्य व्याप्त्यभ्युपगमश्च सः तटस्तटं तटीत्यादौ शब्दभेदोऽर्थभिद्यदि / तद् घटः कुम्भ इत्यादौ कथं नेत्यस्य मार्गणा संज्ञार्थतत्त्वं न ब्रूते त्वन्मते पारिभाषिकी / अनादिसिद्धः शब्दार्थो नेच्छा तत्र निबन्धनम् एवम्भूतस्तु सर्वत्र व्यञ्जनार्थविशेषणः / राजचिद्वैर्यथा राजा नान्यदा राजशब्दभाक् सिद्धो न तन्मते जीवः प्रोक्तः सत्त्वादिसंज्यपि / महाभाष्ये च तत्त्वार्थभाष्ये धात्वर्थबाधतः जीवोऽजीवश्च नो जीवो नोअजीव इतीहिते / जीवः पञ्चस्वपि गतिष्विष्टो भावैर्हि पञ्चभिः नजि सर्वनिषेधार्थे पर्युदासे च संश्रिते / पुद्गलप्रभृतिद्रव्यमजीव इति संज्ञितम् नोजीव इति नोशब्दे जीवसर्वनिषेधके / देशप्रदेशौ जीवस्य तस्मिन् देशनिषेधके जीवो वा जीवदेशो वा प्रदेशो वाप्यजीवगः / अनयैव दिशा ज्ञेयो नोअजीवपदादपि // 39 // // 40 // // 41 // // 42 // // 43 // // 44 // 142