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________________ अज्झप्पाबाहेणं विसयविवेगं अओ मुणी बिति / जुत्तो हु (हि) धम्मवाओ ण सुक्कवाओ विवाओ वा // 101 // भणियं किंचि फुडमिणं दिसाइ इय धम्मवायमग्गस्स / अण्णेहि वि एवं चिय सुआणुसारेण भणियव्वं // 102 // किं बहुणा इह जह जह रागद्दोसा लहुं विलिज्जंति / तह तह पयट्टियव्वं एसा आणा जिणिंदाणं // 103 // एसा धम्मपरिक्खा रइआ भविआण तत्तबोहवा / सोहिंतु पसायपरा तं गीयत्था विसेसविऊ // 104 // (स्वोपज्ञटीकाप्रशस्ति :सूरिश्रीविजयादिदेवसुगुरोः पट्टाम्बराहमणौ सूरि श्रीविजयादिसिंहसुगुरौ शक्रासनं भेजुषि / सूरिश्रीविजयप्रभे श्रितवति प्राज्यं च राज्यं कृतो ग्रन्थोऽयं वितनोतु कोविदकुले मोदं विनोदं तथा महोपाध्यायश्रीविनयविजयैश्चारुमतिभिः, प्रचक्रे साहाय्यं तदिह घटनासौष्ठवमभूत् / / प्रसर्पत्कस्तूरीपरिमलिविशेषाद्भवति हि, प्रसिद्धः श्रृङ्गारस्त्रिभुवनजनानन्दजननः * // 2 // सन्तः सन्तु प्रसन्ना मे ग्रन्थश्रमचिदो भृशम् / येषामनुग्रहादस्य सौभाग्यं प्रथितं भवेत् / // 3 // ) ॥मार्गपरिशुद्धिः // ऐन्द्रश्रेणिनताय, प्रथमाननयप्रमाणरूपाय / भूतार्थभासनाय, त्रिजगद्गुरुशासनाय नमः // 1 // जयति सतां किमपि मुखे, जिनवचनामृतनिषेकमाधुर्यम् / उज्जीवति गुणगरिमा, कलौ यतः खलगिरा पिहितः // 2 // // 1 //
SR No.004455
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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