________________ सत्थोइयगुणजुत्तो सुवन्नसरिसो गुरू विणिट्ठिो। ता तत्थ भणंति इमे विसघायाई सुवनगुणे // 89 / विसघाइ-रसायण-मंगलत्थ-विणए-पयाहिणावत्ते। गुरुए-अडज्झ-ऽकुच्छे अट्ठ सुवने गुणा हुंति // 90 / इय मोहविसं घायइ 1 सिवोवएसा रसायणं होइ 2 / गुणओ य मंगलत्थं 3 कुणइ विणीओ अ जोग्गो त्ति 4 // 91 // मग्गणुसारि पयाहिण'५ गंभीरो गरुअओ तहा होइ 6 / कोहग्गिणा अडज्झो 7 अकुच्छो सइ खीलभावेणं 8 // 92 // एवं सुवन्नसरिसो पडिपुन्नाहिअगुणो गुरू णेओ। इयरो वि समुचियगुणो ण उ मूलगुणेहि परिहीणो // 93 // एयारिसो खलु गुरू कुलवहुणाएंण णेव मोत्तव्यो। एयस्स उ आणाए जइणा धम्मम्मि जइअव्वं // 94 // गुरुआणाइ ठियस्स य बज्झाणुट्ठाणसुद्धचित्तस्स। अज्झप्पज्झाणम्मि वि एगग्गत्तं समुल्लसइ // 95 // तम्मि य आयसरूवं विसयकसायाइदोसमलरहिअं। विन्नाणाणंदघणं परिसुद्धं होइ पच्चक्खं // 96 // जलहिम्मि असंखोभे पवणाभावे जह जलतरंगा। परपरिणामाभावे णेव विअप्पा तया हुंति // 97 का अरती आणंदे केवत्ति वियप्पणं ण जत्थुत्तं / अण्णे तत्थ वियप्पा पुग्गलसंजोगजा कत्तो // 28 // अण्णे पुग्गलभावा अण्णो एगो य नाणमित्तोहं / सुद्धो एस वियप्पो अविअप्पसमाहिसंजणओ // 99 // एयं परमं नाणं परमो धम्मो इमो च्चिय पसिद्धो। .. एयं परमरहस्सं णिच्छयसुद्धं जिणा बिंति . // 100 // C4