________________ // 65 // // 66 // // 67 // // 68 // // 69 // // 70 // सक्खं तु कायफासे जो आरंभो कयाइ सो हुज्जा। अहिगिच्च तं णिमित्तं मग्गिज्जइ कम्मबंधठिई तत्थ णिमित्ते सरिसे जेणोवादाणकारणाविक्खो। बंधाबंधविसेसो भणिओ आयारवित्तीए कारगसंबंधेणं तस्स णिमित्तस्सिमा उ मज्जाया / कत्ता पुणो पमत्तो णिवमा पाणाइवायस्स जो पुण इह कत्तारं नियमा मसगाइजीवमहिकिच्च। भणइ इमं पासंगियमइप्पसंगो फुडो तस्स जियरक्खा सुहजोगा जइ तुह इट्ठा सजोगिकेवलिणो। हंदि तया तयभावे अजोगिणो हुज्ज हीणत्तं सा तस्स सरूवेणं वा वावारेण आइमे पक्खे / पडिलेहणाइहाणी बितिए अ असक्कपरिहारो ण हु सक्का काउं जे इह बायरवाउकायउद्धरणं / केवलिणावि विहारे जलाइजीवाण य तयंति . नणु जिण जोगाउ तहा जलाइजीवाणऽघायपरिणामो। अचित्तपएसे णं जह गमणं पुप्फचूलाए भण्णइ सव्वं एयं भणियं णु तए परोप्परविरुद्धं / दिलृतियदिटुंता जमेगरूवा ण संपन्ना एगत्थ जलमचित्तं अण्णत्थ सचित्तयंति महभेओ। अफुसिअगमणं तीए, ण सुअं अण्णस्स व जिणस्स सोऽइसओ कायकओ जोगकओ वा हविज्ज केवलिणो। दुहओ वण्णियपुत्ताइणायओ पायडविरोहो . एवं सव्वजिआणं जोगाओ च्चिय अघायपरिणामे / केवलिणो उल्लंघण-पल्लं घाईण वेफल्लं 92 // 71 // // 72 // // 73 // // 74 // // 75 // // 76 //