________________ // 72 // // 73 // // 74 // // 75 // // 76 // // 77 // संदिट्ठो संदिट्ठस्सेवमसंदिट्ठयस्स संदिट्ठो / संदिट्ठस्स य इयरो इयरो इयरस्स णायव्वो पढमो एत्थ विसुद्धो बितियपदेणं तु हंदि इयरे वि। अव्वोच्छित्तिणिमित्तं जेणं ते वि य अणुण्णाया कारणजायं पप्प य नाणिट्ठफला तया अणापुच्छा / एत्थ य णेगमणओ परोप्परं तारतम्मं वि इहयं अत्थग्गहणे एस विही जिणवरेहिं पण्णत्तो / पुव्विं उचिए ठाणे पमज्जणा होइ कायव्वा दोन्नि निसिज्जाउ तओ कायव्वाओ गुरूण अक्खाणं / अकयसमोसरणस्स उ वक्खाणुचिय त्ति उस्सग्गो खेले य काइयाए जोग्गाइं मत्तयाइं दो होति / तयवत्थेण वि अत्थो दायव्वो एस. भावत्थो / तावइया वि य सत्ती इहरा नूणं निगूहिया होइ / सत्तिं च णिगृहंतो चरणविसोहि कहं पावे. अणुओगदायगस्स उ काले कजंतरेण णो लाहो / कप्पडववहारेणं को लाहो रयणजीवीस्स वंदंति तओ सव्वे वक्खाणं किर सुणंति जावइया। तत्तो काउस्सग्गं करेंति सव्वे अविग्घट्ठा जइ वि हु मंगलभूयं सव्वं सत्थं तहा वि सामण्णं / एयम्मि उ विग्घखओ मंगलबुद्धी इइ एसो वंदिय तत्तो वि गुरुं णच्चासणे य णाइदूरे अ। ठाणे ठिया सुसीसा विहिणा वयणं पडिच्छंति वक्खाणम्मि समत्ते काइयजोगे कयम्मि वंदंति। अणुभासगमन्ने पुण वयंति गुरुवंदणावसरे // 78 // // 79 // // 80 // // 81 // // 82 // // 83 // 43