________________ // 48 // // 49 // // 50 // // 51 // // 52 // // 53 // तत्तो इट्ठसमत्ती तयणुबंधो अ पुण्णपावखया / सुगइगुरुसंगलाभा परमपयस्स वि हवे लद्धी एवंभूअणएणं मंगलमापुच्छणा हवे एवं / बहुवेलाइकमेणं सव्वत्थ वि सा तओ उचिया विहिए कज्जे कज्जो अहवा णिस्संकियं परमजत्तो। इय बहुवेलापुच्छा दिट्ठा सामण्णकज्जे वि पुच्छा किर पडिपुच्छा गुरुपुव्वणिवेइयस्स अट्ठस्स / कज्जंतराइजाणणहेउं धीराण किइसमए खलणाइपवित्तीए तिक्खुत्तो अहव विहिपओगे वि / पुव्वणिसिद्धे अण्णे पडिपुच्छमुवट्ठिए बिति इहयं आपुच्छा खलु पडिपुच्छाए करेइ उवयारं। . फलमिटुं साहेउं णेव सतंतत्तणं वहइ . ण य एसा पुच्छ च्चिय उवाहिभेया य कज्जभेयवसा / अण्णह कहं ण पविसे इच्छाकारस्स कुच्छिंसि गुरुआणाइ जहरिहं दाणं साहूण पुव्यगहिअस्स। छंदणसामायारी विसेसविसया मुणेयव्वा एसा जमत्तलद्धियविसिट्ठतवकारगाइजइजुग्गा / अहियगहणं च तेसिं अणुग्गहढे अणुण्णायं आणासुद्धो भावो देइ बहुं णिज्जरं ण गहणं वि। असणागहणे वि तओ फलसिद्धी छंदगस्स हवे जइ वि हु ण दाणगहणप्पभवं सुकडाणुमोअणं तत्थ / तह वि तयं विहिपालणसमुब्भवं होइ णियमेणं नाणादुवग्गहस्सासंसाए छंदगो कुणउ किच्चं / ण य पत्थितो तत्तो पच्चुवयारं च कित्तिं च .. . .41 // 54 // // 55 // // 56 // // 57 // // 58 // // 59 //