________________ // 36 / / // 37 // // 38 // // 39 // // 40 // // 41 // गच्छंतस्सुवउत्तं गुरूवएसेण विहियकज्जेण / . आवस्सिय त्ति सद्दो णेया आवस्सिया णाम सा य पइण्णा तीसे भंगे किर पायडो मुसावाओ / ण य तं विणा वि किरिया सुद्धाणंगं पहाणं ति ण य दोसबहुलभावा सामायारीणिमित्तकम्मखओ। वयमेत्तं णिव्विसयं इच्चाइ सतंतसिद्धमिणं नणु एगट्ठत्तणओ कह एत्थ णिसीहियाइ ण पओगो। भन्नइ एस विभागो गमणागमणप्पओअणओ होइ अगमणे इरियाविसोहिसज्झाणयझाणमाइगुणा। कारणियं पुण गमणं तेण वि भेओ भवे आसिं एवं णिसीहिया कयपडिसेहस्सोग्गहप्पपवेसम्मि / हंदि णिसीहियसद्दो उचिओ अण्णत्थजोगेंणं दढजत्तुवओगेणं गुरुदेवोग्गहमहीपवेसम्मि / इ8 इहराणिटुं तेण णिसेहो इह पहाणो एत्तो चेइयसिहराइदंसणे च्चिय गयाइओसरणं / / सड्डाण वि साहूणं किमंग पुण एत्थ वत्तव्वं झाणेणं ठाणेण वि णिसीहियाए परो हवइ जत्तो। अणिसिद्धस्स णिसीहिय वायमित्तं ति वयणाओ होइ पइण्णाभंगे भीरुअभावा अओ दढो जत्तो / तप्पुब्विया य किरिआ फला य तब्भाववुड्डिकरी णियहियकज्जपइण्णाणिवेअणं पइ गुरुं विणयपुव्वं / आपुच्छण त्ति णेया सेयं तप्पुव्वयं कम्म जेण गुरू विहिणाया दाएइ विहिं खु तस्स आणाए। तत्तो विहिपडिवत्ती सुहभावा तत्थ विग्घखओ // 42 // // 43 // // 44 // // 45 // .. // 46 // // 47 // 40