________________ गुणवं च गुरू सुत्ते जहत्थगुरुसद्दभायणं इ8ो / इयरो पुण विवरीओ गच्छायारम्मि जं भणिअं : // 168 // तित्थयरसमो सूरी सम्मं जो जिणमयं पयासेइ / आणं च अइक्कंतो सो कापुरिसो ण सप्पुरिसो // 169 // भट्ठायारो सूरी भट्ठायाराणुविक्खओ सूरी। . उम्मग्गट्ठिओ सूरी तिण्णि, वि मग्गं पणासंति // 170 // एए गुरुणो अ गुणा पव्वज्जारिहगुणेहिं पव्वज्जा / गुरुकुलवासो अ सया अक्खयसीलत्तमवि सम्मं // 171 / / खंती समो दमो वि अ तत्तण्णुत्तं च सुत्तअब्भासो / . . सत्तहिअम्मि रयत्तं पवयणवच्छल्लया गरुई // 172 // भव्वाणुवत्तयत्तं परमं धीरत्तमवि य सोहग्गं / णियगुरुणाणुण्णाए पयम्मि सम्मं अवट्ठाणं // 173 // अविसाओ परलोए थिरहत्थोवगरणोवसमलद्धी / निउणं धम्मकहिचं गंभीरतं च इच्चाई . // 174 // उभयण्णु वि य किरियापरो दढं पवयणाणुरागी य / ससमयपण्णवओ परिणओ अ पण्णोय अच्चत्थं // 175 // जो हेउवायपक्खम्मि हेउओ आगमे अ आगमिओ / सो समयपण्णवओ सिद्धंतविराहगो अण्णो // 176 // कलिदोसम्मि अ णिविडे एगाइगुणज्झिओ वि होइ गुरू / मूलगुणसंपया जइ अक्खलिआ होइ जं भणिअं // 177 // गुरुगुणरहिओ वि इहं दट्ठव्वो मूलगुणविउत्तो जो। . न उ गुणमित्तविहूणो त्ति चंडरुद्दो उदाहरणं // 178 // मूलगुणसंजुअस्स य गुरुणो वि य उवसंपयां जुत्ता / / दोसलवे वि अ सिक्खा तस्सुचिआ णवरि जं भणिअं॥ 179 // 32 33