________________ जं पुण न या लभिज्जा इच्चाईसुत्तमेगचारित्ते / तं पुण विसेसविसयं सुनिउणबुद्धिहि दट्ठव्वं पावं विवज्जयंतो कामेसु तहा असज्जमाणो अ। तत्थुत्तो एसो पुण गीयत्थो चेव संभवइ // 157 // णागीओ अन्नाणी किं काहि च्चाइवयणओ णेओ / . अवियत्तस्स विहारो अवि य णिसिद्धो फुडं समए // 158 // गीयत्थो अ विहारो बीओ गीयत्थनीसिओ भणिओ। एत्तो तइअविहारो नाणुन्नाओ जिणवरेहिं // 159 // एगागियस्स. दोसा इत्थी साणे तहेव पडिणीए / भिक्खविसोहि महव्वय तम्हा. सबिइज्जए गमणं // 160 // जाओ अ अजाओ य दुविहो कप्पो य होइ विन्नेओ / इक्किक्को पुण दुविहो सम्मत्तकप्पो य असमत्तो // 161 // गीयत्थजायकप्पो अगीओ पुण भवे अजाओ अ। पणगं समत्तकप्पो तदूणगो होइ असमत्तो. // 162 // उउबंद्धे वासासु अ सत्त समत्तो तदूणगो इयरो। असमत्ताजायाणं आहेण न होइ आभव्वं // 163 // ता गीयम्मि इमं खलु वयणं लाभंतरायविसयंति / सुत्तं अवगंतव्वं णिउणेहिं तंतणीईए // 164 // इक्कस्स पुणो तस्स वि विसमे काले तहां वि ण विहारे / जणअववायभयाओ ववट्ठिओ एस तंतम्मि // 165 // कालम्मि संकिलिटे छक्कायदयावरो वि संविग्गो / जयजोगीणमलंभे पणगन्नयरेण संवसइ // 166 // इय एगागिविहारे अइदंपज्जत्थओ सुपरिसुद्धे / / गुरुकुलवासच्चाओ लेसेण वि भावओ णत्थि // 167 // 31 .