________________ सत्थण्णुणा वि तीरइ मज्झत्थेणेव सासिउं सव्वं / सच्छंदं नो जंघइ जमेस आहच्च भणि च // 84 // जं च ण सुत्ते विहिअंण य पडिसिद्धं जणम्मि चिररूढं / समइविगप्पियदोसा तं पि ण दूसंति गीयत्था // 85 // संविग्गा गीयतमा विहिरसिआ पुव्वसूरिणो आसी। तददूसिअमायरिअं अणइसई को णिवारेइ // 86 // अइसाहसमेअं जं उस्सुत्तपरूवणा कडुविवागं / जाणंतेहि विहिज्जइ णिद्देसो सुत्तबज्झत्थे // 87 // णिययावासाईअं गारवरसिआ गहित्तु मुद्धजणं / आलंबणं अपुढे पाडंति पमायगत्तम्मि // 88 // आलंबणाण भरिओ लोगो जीवस्स अजयकामस्स / जं जं पिच्छइ लोए तं तं आलंबणं. कुणइ // 89 // जो जं सेवइ दोसं संणिहिपमुहं तु सो अभिणिविठ्ठो / ठावेइ गुणमहेउं अववायपयं पुरो काओ // 90 // परिहरइ जं च दोसं सच्छंदविहारओ अभिणिविट्ठो / कप्पियसेवाए वि हु लुंपइ तं कोइ पडिणीओ // 91 // तं पुण विसुद्धसद्धा सुअसंवायं विणा ण संसंति / अवहीरिऊण नवरं सुआणुरूवं परूविति // 92 // उवइसइ धम्मगुज्झं हिअकंखी अप्पणो परेसिं च / पत्तापत्तविवेगो हिअकंखित्तं च णिव्वहइ // 93 // पत्तम्मि देसणा खलु णियमा कल्लाणसाहणं होइ / कुणइ अ अपत्तपत्ता विणिवायसहस्सकोडीओ // 94 // विफला इमा अपत्ते दुस्सण्णप्पा तओ जओ भणिआ / पढमे दुढे बितिए मूढे वुग्गाहिए तइए // 95 // S5