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________________ एगंतेण णिसेहो जोगेसु ण देसिओ विही वा वि / दलिअं पप्प णिसेहो हुज्ज विही वा जहा रोगे // 60 // जम्मि णिसेविज्जंते अइआरो हुज्ज कस्सइ कया वि / - तेणेव य तस्स पुणो कयाइ सोही हविज्जाहि // 61 // अणुमित्तो वि न कस्सइ बंधो परवत्थुपच्चओ भणिओ / तह वि खलु जयंति जई परिणामविसोहिमिच्छंता // 62 // जो पुण हिंसाययणाइएसु वट्टइ नणु परीणामो / दुट्ठो ण य तं लिंगं होइ विसुद्धस्स जोगस्स // 63 // तम्हा सया विसुद्धं परिणाम इच्छया सुविहिएणं / हिंसाययणा सव्वे परिहरिअव्वा पयत्तेणं // 64 // एएण पबंधेणं विहिसेवालक्खणाइ सद्धाए / . भावजइत्तं भणिअं अइप्पसंगो फुडो इहरा // 65 // पाउणइ णेव तित्ति सद्धालू नाणचरणकज्जेसु / वेयावच्चतवाइसु अपुव्वगहणे य उज्जमइ . // 66 // दुग्गययरवररयणलाहतुल्लं खु धमकिच्चं ति / अहिआहिअलाभत्थी अणुवरइत्थो हवइ तम्मि // 67 // छुहिअस्स जहा खणमवि विच्छिज्जइ णेव भोअणे इच्छा / एवं मोक्खत्थीणं छिज्जइ इच्छा ण कज्जम्मि // 68 // इत्तो चेव असंगं हवइ अणुट्ठाणमो पह्मणयरं / तम्मत्तगुणट्ठाई संगो तित्ती उ एगत्थ // 69 // सुपरिचिअआगमत्थो अवगयपत्तसुहगुरुअणुण्णाओ / मज्झत्थो हिअकंखी सुविसुद्धं देसणं कुणइ // 70 // ण परिचिआ जेण सुआ समयत्था तस्स णत्थि अणुओगो / सो सत्तूपयणिट्ठों जं भणिअं संमईइ इमं // 71 // 23
SR No.004454
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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