________________ संविग्गभाविआणं लुद्धयदिटुंतभाविआणं च / मुत्तूण खित्तकालं भावं च कहेंति सुद्धंछं // 36 // सो वि य सम्म जाणइ गुरुदिन्नं निरवसेसपन्नवणं / ण य उत्ताणमईए पल्लवमित्ते हवइ इट्ठो // 37 // जह बोडिआइवयणं सोऊं आवायरम्ममूढनयं / ववहाराइपहाणा तं कोइ सुआ विसेसेइ // 38 // ण य जाणइ अइपरिणइ अपरिणइभया कयम्मि मूढनए / कालियसुअम्मि पायं उवओगं तिण्ह जं भणियं // 39 // मूढनइअं सुअं कालिअं तु न णया समोअरंति इहं / / अपुहत्ते समोआरो णत्थि पुहत्ते समोआरो // 40 // एएहिं दिट्ठिवाए परूवणा सुत्तअत्थकहणा य / इह पुण अणब्भुवगमो अहिगारो तीहि ओसन्न // 41 // पायं पसिद्धमग्गो अपरिणई नाइपरिणई वा वि / अपसिद्धे तब्भावो बुहेहिं ता सुट्ट दिट्ठमिणं // 42 // वक्कत्थाइदिसाए अण्णेसु वि एवमागमत्थेसु / पडिवज्जइ भावत्थं निउणेणं पण्णविज्जंतो जो न य पन्नवणिज्जो गुरुवयणं तस्स पगइमहुरं पि / पित्तज्जरगहिअस्स व गुरुंखंडकडुअमाभाइ // 44 / / पन्नवणिज्जस्स पुणो उत्तमसद्धा हवे फलं जीसे / विहिसेवा य अनन्ना सुदेसणा. खलिअपरिसुद्धी // 45 // सद्धालू सत्तिजुओ विहिसारं चेव सेवए किरियं / तप्पक्खवायहीणो ण हवे दव्वाइदोसे वि जह सम्ममुट्ठिआणं समरे कंडाइणा भडाईणं / भावो न परावत्तइ एमेव महाणुभावस्स // 47 // . 21 // 43 // // 46 //