________________ // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // गुरुपारतंतनाणं सद्दहणं एयसंगयं चेव / . इत्तो उ चरित्तीणं मासतुसाईण णिद्दिटुं तेसि पि दव्वनाणं ण य रुइमित्ताओ दव्वदंसणओ। गीयत्थणिस्सिआणं चरणाभावप्पसंगाओ दुविहो पुणो विहारो भावचरित्तीण भगवया भणिओ / एगो गीयत्थाणं बितिओ तण्णिस्सिआणं च . संखेवाविक्खाए रुइरूवे दंसणे य दव्वत्तं / भन्नइ जेणुवगिज्जइ अयाणमाणे वि संम्मत्तं सव्ववएसा भन्नइ लिंगे अब्भंतरस्स चरणस्स / / जं दलरूवं दव्वं कज्जावन्नं च जं भावो ण उक्कडरूवसरिसं भावविरहीणं भवाभिणंदीणं / अहव कहं पि विसिटुं लिंगं सा भावंचरणस्स इक्खुरसगुडाईणं महुरत्ते जह फुडं विभिण्णत्तं / तह अपुणबंधचरप्पाइभावभेओ वि सुपसिद्धो मग्गणुसारिकिरिया भाविअचित्तस्स भावसाहुस्स / विहिपडिसेहेसु भवे पन्नवणिज्जत्तमुजुभावा . विहिउज्जमवन्नयभयउस्सगववायतदुभयगयाइं / सुत्ताइं बहुविहाइं समए गंभीरभावाइं पिंडेसणदुमपत्तयरिद्धच्छिमियाइनरयमंसाई / छज्जीवेगविहारा वाहितिगिच्छा य णायाई तेसिं विसयविभागं मुज्झइ कुग्गहरओ अयाणंतो / बोहेइ तं च णाओ पन्नवणिज्जं सुसीलगुरू अवसिटुं ठावित्ता बिति य अण्णयरपक्खवायं से। परिणामेइ स सम्मं जं भणियं कप्पभासम्मि // 29 // // 30 // // 31 // // 32 // // 34 // // 35 // 20