________________ // 4 // // यतिलक्षणसमुच्चयः // सिद्धत्थरायपुत्तं तित्थयरं पणमिऊण भत्तिए / सुत्तोइअणीइए सम्म जइलक्खणं वुच्छं // 1 // उस्सग्गववायाणं जयणाजुत्तो जई सुए भणिओ। बिंति अ पुव्वायरिआ सत्तविहं लक्खणं तस्स मग्गाणुसारिकिरिया पन्नवणिज्जत्तमुत्तमा सद्धा। किरिआसु अप्पमाओ आरंभो सक्कणुटाणे गुरुओ गुणाणुराओ गुरुआणाराहणं तहा परमं / अक्खय चरणधणाणं सत्तविहं लक्खरणं एवं सुत्तायरणाणुगया सयला मग्गणुसारिणी किरिया / सुद्धालंबणपुन्ना जं भणि धम्मरयणम्मि मग्गो आगमणीई अहवा संविग्गबहुजणाइन् / उभयाणुसारिणी जा सा मग्गणुसारिणी किरिया अन्नह भणिअं पि सुए किंची कालाइ कारणाविक्खं / आइन्नमन्नह च्चिय दीसइ संविग्गगीएहिं कप्पाणं पावरणं अग्गोअरच्चाओ झोलिआभिक्खा / ओवग्गहिअकडाहय तुंबयमुहदाणदोराई सिक्किगनिक्खिवणाई पज्जोसवणाइ तिहिपरावत्तो / भोअणविहिअन्नत्तं एमाई विविहमन्नं पि / // 9 // जं सव्वहा न सुत्ते पडिसिद्धं नेव जीववहहेऊ। . तं सव्वं पि पमाणं चारित्तधणाण भणिअं च // 10 // अवलंबिऊण कज्जं जं किंचि समायरंति गीयत्था / . थोवावराहबहुगुणं सव्वेसि तं पमाणं तु . // 11 // // 7 // // 8 //