________________ // 192 // // 193 // // 194 // // 195 // // 196 // // 197 // भणिअंच भगवईए मासाइकमेण वंतराईणं / वीईवयंति समणा देवाणं तेउलेस्सं ति / एयस्स पुण उवाओ णिच्छयओ इह तहा परिणतप्पा। कल्लाणमित्तजोगाइओ अ ववहारओ णेओ संबंधो कायव्वो सद्धि कल्लाणहेउमित्तेहिं / सोअव्वं जिणवयणं धरियव्वा धारणा सम्म कज्जो परोवयारो परिहरिअव्वा परेसि पीडा य। हेया विसयपवित्ती भावेयव्वं भवसरूवं पुज्जा पूएअव्वा न निंदियव्वा य केइ जियलोए / लोगोणुवत्तिअव्वो गुणरागो होइ. कायव्वो अगुणे मज्झत्थत्तं कायव्वं तह कुसीलसंसग्गी। वज्जेअव्वा जत्ता परिहरिअव्वो पमादो अ छिन्दिउमसुहविगप्पं कोहाइकसायचायसुद्धीए / सहजं आयसरूवं भावेअब्बं जहावसरं . देहं गेहं च धणं सयणं मित्ता तहेब पुत्ता य / अण्णा ते परदव्वा एएहितो अहं अण्णो आयसरूवं णिच्चं अकलंकं नाणदंसणसमिद्धं। णियमेणोवादेयं जं सुद्धं सासयं ठाणं किं बहुणा इह जह जह रागद्दोसा लहुं विलिज्जंति / तह तह पयट्टिअव्वं एसा आणा जिणिदाणं तवगणरोहणसुरगिरिसिरिणयविजयाभिहाणविबुहाणं / सीसेण पियं रइअं पगरणमिणमायसरणटुं अणुसरिय जुत्तिगब्भं पुव्वायरियाण वयणसंदब्भं / जं काउमिणं लद्धं पुण्णं तत्तो हवउ सिद्धी // 198 // // 199 // // 200 // // 201 // // 202 // // 203 //