________________ // 144 // // 145 // // 146 // // 147 // // 148 // // 149 // कयमेत्थ पसंगेणं उस्सग्गववायरूवमिय णाउं / जह बहु कंजं सिज्झइ तह जइयव्वं पयत्तेणं जयणा खलु आणाए आयरणा वि अविरुद्धगा आणा। णासंविग्गायरणा जं असयालंबणकया सा दीसंति बहू मुंडा दूसमदोसवसओ सपक्खे वि। ते दूरे मोत्तव्वा आणासुद्धेसु पडिबंधो भवठिइनिरूवणेणं इयरेसु वि दोसवज्जणा जुत्ता / भावाणुवघाएणं वसिअव्वं कारणे वि तहिं अणुवत्तणा वि कज्जा अरत्तदुद्वेण कारणे तेसिं / अगहिलगहिलनिवेणिव दव्वेणं वंदणाईहिं सा आयरक्खणटुं तं आणाजोगओ ण इयरा वि / सो अ गुरुनिओगेणं भणंति तल्लक्खणं इणमो उभयण्णू वि य किरिआपरो दढं पवयणाणुरागी य। ससमयपण्णवओ परिणओ अ पण्णो अ अच्चत्थं जो हेउवायपक्खम्मि हेउओ आगमे य आगमिओ। सो ससमयपण्णवओ सिद्धंतविराहगो अण्णो जो एअगुणविउत्तो सो निद्धम्मो सुअं विडंबंतो। गुरुनामेणं लोए बोलेइ बहू जओ भणिअं ज़ह जह बहुस्सुओ संमओ अ सीसगाणसंपरिखुडो अ। अविणिच्छिओ अ समए तह तह सिद्धंतपडिणीओ सुत्तत्थाण विसुद्धी सीसाणं होइ सुगुरुसेवाए। सुत्ताओ वि य अत्थे विहिणा जत्तो दढो जुत्तो मूअं केवलसुत्तं जीहा पुण होइ पायडा अत्थो / सो पुण चउहा भणिओ हंदि पयत्थाइभेएण // 150 // // 151 // // 152 // // 153 // // 154 // // 155 // 13