________________ कामं सव्वपदेसुं उस्सग्गववायधम्मया जुत्ता। मोत्तुं मेहुणभावं ण विणा सो रागदोसेहि // 132 // णिदोसम्मि अणुण्णा सुत्तणिबद्धा णिसेहसंविधा। इयपडिपुनत्थत्ता होइ पमाणत्तमविरुद्धं - // 133 / / रागद्दोसाणुगयं नाणुट्ठाणं तु होइ णिद्दोसं।। जयणाजुअम्मि तम्मि तु अप्पतरं होइ पच्छित्तं // 134 // जयणावेक्खाइ अओ उस्सग्गववायतुल्लसंखत्तं / उववज्जइ किच्चम्मी पुव्वायरिया जहा पाहु . // 135 // उन्नयमवेक्ख इयरस्स पसिद्धी उन्नयस्स इयराओ। ... इय अन्नोन्नपसिद्धा उस्सग्गववायमो तुल्ला // 136 // जावइया उस्सग्गा तावइआ व हुंति अववाया। जावइआ अववाया उस्सग्गा तत्तिया चेव // 137 // दव्वादिएहि जुत्तस्सुस्सग्गो तदुचियं अणुट्ठाणं / रहिअस्स तमववाओ उचियं विअरस्स न उ तस्स // 138 // ण वि किंचि अणुण्णायं पडिसिद्धं वा वि जिणवरिंदेहि / एसा तेसिं आणा कज्जे सच्चेण होअव्वं // 139 // दोसा जेण निरुज्झंति जेण छिज्जंति पुव्वकम्माई। सो सो मोक्खोवाओ रोगावत्थासु समणं व // 140 // ण य एवं जिणवयणे तुल्लत्तं होइ अण्णवयणेणं / जं तं एगंतत्थं ण वि तं दिटुं सठाणत्थं // 141 // संथरओ सट्ठाणं उस्सग्गो असहुणो परटुाणं / इय सट्ठाण परं वा ण होइ वत्थू विणा किंचि // 142 // बज्झकिरियाविसेसे ण णिसेहो वा विही व संभवइ / जं सो भावाणुगओ तयत्थमंगीकया जयणा // 143 // 10