________________ // 84 // // 85 // // 86 // // 87 // / / 88 // // 89 / / पुट्ठालंबणसेवी उवेइ मुक्खं स माइठाणं तु / / फासंतो णो धम्मे भावेण ठिओ अधन्नो त्ति . गुणठाणगपरिणामे संते पाएण बुद्धिमं होई / तप्फलमवेक्ख अन्ने नियमेण उ तारिसं बिति अंधो असायरहिओ पुराणुसारी जहा सयं होई / एवं मग्गणुसारी मुणी अणाभोगपत्तो वि मोणम्मि णियं सत्तिं ण निगूहइ गाढकट्ठपत्तो वि। दव्वादिया ण पायं बज्झाऽभावे वि भावहरा जह सम्ममुट्ठिआणं समरे कंडाइणा भडाईणं / भावो न परावत्तइ एमेव महाणुभावस्स मालइगुणणुण्णो महुअरस्स तप्पक्खवायहीणत्तं / पडिबंधे वि ण कइआ एमेव मुणिस्स सुहजोगे अपयट्टो वि पयट्टो भावेणं एस जेण तस्सत्ती / अक्खलिआ निबिडाओ कम्मखओवसमजोगाओ एवं खु दुस्समाए समिया गुत्ता य संजमुज्जुत्ता। पन्नवणिज्जासग्गहरहिया साहू महासत्ता णियमा णस्थि चरित्तं कइया वि हु नाणदंसणविहूणं / तम्हा तम्मि ण संते असग्गहाईण अवगासो सज्झायाइणिओगा चित्तणिरोहेण हंदि एएसि / कल्लाणभायणत्तं पइदिणमुचियत्थचिंताए केइ असग्गहगहिया अमुणंता एयमत्तदोसेण / उज्झियपहाणजोगा बज्झे जोगे ट्ठिया तुच्छे मन्नता अन्नाणा अप्पाणं गुरुचरित्तजोगत्थं / . . मत्ता इव गयसत्ता पए पए हंत निवडंति // 90 // // 91 // // 92 // // 93 // // 94 // . // 95 //