________________ पुरिसस्स वेयसंकमभावेणं इत्थ गमणिगाऽजुत्ता / इत्थीण वि तब्भावो होइ तया सिद्धिभावाओ // 354 // लिंगमिह भावलिंग पहाणमियरं तु होइ देहस्स / / सिद्धी पुण जीवस्सा तम्हा एयं न किंचिदिह // 355 // सत्तममहिपडिसेहो उ रुद्दपरिणामविरहओ तासिं / सिद्धीए इट्ठफलो न साहुणित्थीण पडिसेहो . // 356 // उत्तमपयपडिसेहों उ तासिं सहगारिजोगयाऽभावे / नियवीरिएण उ तहा केवलमवि हंदि अविरुद्धं // 357 // वीसित्थिगा उ पुरिसाण अट्ठसयमेगसमयओ सिज्झे / . दस चेव नपुंसा तह उवरिं समएण पडिसेहो // 358 // दसन्नलिंगे इय चउरो गिहिलिंगे सयं च अट्ठहियं / विनेयं तु सलिंगे समएणं सिज्झमाणाणं // 359 // दो चेवुक्कोसाए चउरो जहन्नाइ मज्झिमाए य / अट्ठाहिगं सयं खलु सिज्झइ ओगाहणाइ तहा. // 360 // चत्तारि उड्डलोए दुए समुद्दे तओ जले चेव / बावीसमहोलोए तिरिए अट्टत्तरसयं तु / // 361 // बत्तीसा अडयाला सट्ठी बावत्तरी उ बोद्धव्वा / चुलसीई छनउई दुरहियमद्रुत्तरसयं च // 362 // एवं सिद्धाणं पि हु उवाहिभेएण होइ इह भेओ / तत्तं पुण सव्वेसिं भगवंताणं समं चेव // 363 // सव्वे वि य सव्वन्नू सव्वे वि य सव्वदंसिणो एए / . निरुवमसुहसंपन्ना सव्वे जम्माइरहिया य // 364 // जत्थ य एगो सिद्धो तत्थ अणंता भवक्खयविमुक्का / अन्नुन्नमणाबाहं चिटुंति सुहं सुही पत्ता // 365 // 32