________________ जीवो य ण सव्वगओ ता तद्धम्मो कहं भवइ बाही ? | कह वाऽलोए धम्माइविरहओ गच्छइ अणंते // 343 / / तम्हा सरूवनिययस्स चेव जीवस्स केवलं धम्मो / आगारो वि य एयस्स साहु तग्गहणपरिणामो // 344 // एयम्मि भवोवग्गाहिकम्मखयओ उ होइ सिद्धत्तं / नीसेससुद्धधम्मासेवणफलमुत्तमं नेयं / " सतम नय // 345 // ... // 19 // सिद्धविभक्तिविंशिका // सिद्धाणं च विभत्ती तहेगरूवाण वीअतत्तेण / पनरसहा पन्नत्तेह भगवया ओहभेएण // 346 // तित्थाइसिद्धभेया संघे सइ हुंति तित्थसिद्ध त्ति / तदभावे जे सिद्धा अतित्थसिद्धा उ ते नेया // 347 // तित्थगरा तस्सिद्धा हुँति तदन्ने अतित्थगरसिद्धा / सगबुद्धा तस्सिद्धा एवं पत्तेयबुद्धा वि . // 348 // इय बुद्धबोहिया वि हु इत्थी पुरिसे णपुंसगे चेव / एवं सलिंगगिहिअन्नलिंगसिद्धा मुणेयव्वा // 349 // एगाणेगा य तहा तदेगसमयम्मि हुंति तस्सिद्धा / . सेढीकेवलिभावे सिद्धी एतै उ भवभेया // 350 // पडिबंधगा ण इत्थं सेढीए हुंति चरमदेहस्स य / थीलिंगादीया वि हु भावा समयाविरोहाओ // 351 // नवगुणठाणविहाणा इत्थीपमुहाण होइ अविरोहो / समएण सिद्धसंखाभिहाणओ चेव नायव्वा // 352 // अणियट्टिबायरो सो सेढिं नियमेणमिह समाणेइ / तीए य केवलं केवले य जम्मक्खए सिद्धी // 353 // 31