________________ पुढवाईणं संघट्टणाइभावेण तह पमायाओ / अइयारसोहणट्ठा पणगाइतवो तवो होइ // 297 // तवसा उ दुद्दमस्सा पायं तह चरणमाणिणो चेव। . संकेसविसेसाओ छेओ पणगाइओ तत्थ // 298 // पाणवहाइम्मि पाओ भावेणासेवियम्मि सहसा वि / आभोगेणं जइणो पुणो वयारोवणा मूलं // 299 // साहम्मिगाइतेणाइभावओ संकिलेसभेएण / तक्खणमेव वयाण वि होइ अजोगो उ अणवट्ठा // 300 // पुरिसविसेसं पप्पा पावविसेसं च विसयभेएण / पायच्छित्तस्संतं गच्छंतो होइ. पारंची // 301 // एवं कुणमाणो खलु पावमलाभावओ निओगेण / सुज्झइ साहू सम्मं चरणस्साराहणा तत्तो // 302 // अविराहियचरणस्स य अणुबंधो सुंदरो उ हवइ त्ति / अप्पो य भवो पायं ता इत्थं होइ जइयव्वं // 303 // किरियाए अपच्चारे जत्तवओ 'णावगारगा जह य / पच्छित्तवओ सम्मं तह पव्वज्जाए अइयारे // 304 // एवं भावनिरुज्जो जोगसुहं उत्तमं इहं लहइ / / परलोगे य नरामरसिवसुक्खं तप्फलं चेव // 305 // : // 17 // योगविधानविंशिका // मुक्खेण जोयणाओ जोगो सव्वो वि धम्मवावारो / परिसुद्धो विनेओ ठाणाइगओ विसेसेण // 306 // ठाणुन्नत्थालंबणरहिओ तंतम्मि पंचहा एसो / दुगमित्थ कम्मओगो तहा तियं नाणजोगो उ // 307 // 0 -