________________ चिंतेइ मंगलमिहं निमित्तसुद्धिं तिहा परिक्खंता / कायवयमणेहिं तहा नियगुरुयणसंगएहिं तु एयाणमसुद्धीए चिइवंदण तह पुणो वि उवओगो / .: सुद्धे गमणं हु चिरं असुद्धिभावे ण तद्दियहं // 264 // सुद्धे वि अंतराया एए पडिसेहगा इहं हुंति / . आहारस्स इमे खलु धम्मस्स उ साहगाजोगा // 265 // // 15 // आलोयणार्विशिका // भिक्खाइसु जत्तवओ एवमवि य माइदोसओ जाओ / हुंतऽइयारा ते पुण सोहइ आलोयणाइ जई // 266 // पक्खे चाउम्मासे आलोयण नियमसो उ दायव्वा / ... गहणं अभिग्गहाण य पुव्वगहिए णिवेदेउं // 267 // आलोयणा पयडणा भावस्स सदोसकहणमिइ गज्झो / गुरुणो एसा य तहा सुविज्जनाएण विनेआ . // 268 // जह चेव दोसकहणं न विज्जमित्तस्स सुंदरं होइ / अविय सुविज्जस्स तहा वन्नेयं भावदोसे वि // 269 // तत्थ सुविज्जो य इमो आरोग्गं जो विहाणओ कुंणइ / चरणारुग्गकरो खलु एवित्थ गुरू वि विनेओ // 270 // जस्स समीवे भावाउरा तहा पाविऊण विहिपुव्वं / चरणारुग्गं पकरंति सो गुरू सिद्धकम्मुत्थ / // 271 / / धम्मस्स पभावेणं जायइ एयारिसो न सव्वो वि। . विज्जो व सिद्धकम्मो जइयव्वं एरिसे विहिणा // 272 // एसो पुण नियमेणं गीयत्थाइगुणसंजुओ चेव। . धम्मकहाऽपक्खेवगविसेसओ होइ उ विसिट्ठो . // 273 // 24