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________________ इत्थेव पत्तभेएण एसणा होइऽभिग्गहपहाणा / सत्त चउरो य पयडा अन्ना वि तहाऽविरुद्ध ति // 252 // संसट्ठमसंसट्ठा उद्घड तह होइ अप्पलेवा य / ओग्गहिया पग्गहिया उज्झियधम्मा य सत्तमिया // 253 // उदिट्ठ पेह अंतर उज्झियधम्मा चउत्थिया होइ / वत्थे वि एसणाओ पन्नत्ता वीयरागेहि // 254 // सिज्जा वि इहं नेया आहाकम्माइदोसरहिया वि / ते वि दलाविक्खाए एत्थं सयमेव जोइज्जा / / 255 // एसावित्थीपंडगपसुरहिया जाण सुद्धिसंपुन्ना / अन्नापीडाइ तहा उग्गहसुद्धा मुणेयव्वा // 256 // एसा वि हु विहिपरिभोगओ य आसंगवज्जियाणं तु / वसही सुद्धा भणिया इहरा उ गिहं परिग्गहओं // 257 // एवं आहाराइसु जत्तवओ निम्ममस्स भावेण / नियमेण धम्मदेहारोगाओ होइ निव्वाणं .. // 258 // जाणइ असुद्धिमेसो आहाराईण सुत्तभणियाणं / सम्मुवउत्तो नियमा पिंडेसणभणियविहिणा य // 259 // // 14 // तदन्तरायशुद्धलिङ्गविंशिका // भिक्खाए वच्चंतो जइणो गुरुणो करंति उवओगं / जोगंतरं पवज्जिउकामो आभोगपरिसुद्ध // 260 // सामीवेणं जोगो एसो सुत्ताइजोगओ होइ / कालाविक्खाइ तहा जणदेहाणुग्गहट्ठाए // 261 // एयविसुद्धिनिमित्तं अद्धागहण? सुत्तजोगट्ठा / जोगतिगेणुवउत्ता गुरुआणं तह पमग्गंति // 262 // .23
SR No.004453
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages326
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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