________________ अत्थग्गहणे उ एसो विनेओ तस्स तस्स य सुयस्स / तह चेव भावपरियागजोगओ आणुपुव्वीए // 229 // मंडलि निसिज्ज अक्खा किइकम्मुस्सग्ग वंदणं जितु / उवओगो संवेगो ठाणे पसिणो य इच्चाइ // 230 // आसेवइ य जहुत्तं तहा तहा सम्ममेस सुत्तत्थं / / उचियं सिक्खापुव्वं नीसेसं उवहिपेहाए // 231 // पडिवत्तिविरहियाणं न हु सुयमित्तमुवयारगं होइ / नो आउरस्स रोगो नासइ तह ओसहसुईओ // 232 // न य विवरीएणेसो किरियाजोगेण अवि य वढेइ / इय परिणामाओ खलु सव्वं खु जहुत्तमायरइ // 233 // थेवो वित्थमजोगो नियमेण विवागदारुणो होइ / पागकिरियागओ जह नायमिणं सुप्पसिद्धं तु // 234 // जह आउरस्स रोगक्खयत्थिणो दुक्करा वि सुहहेऊ / इत्थं चिगिच्छाकिरिया तह चेव जइस्स सिक्ख त्ति // 235 // जं सम्मनाणमेयस्स तत्तसंवेयणं निओगेण / अन्नेहि वि भणियमओ उ विज्जसंविज्जपदमिसिणो // 236 // पढममहं पीईविऊ पच्छा भत्ती उ होइ एयस्स / आगममित्तं हेऊ तओ. असंगत्तमेगंता // 237 // जइणो चउव्विहं चिय अन्नेहि वि वनियं अणुट्ठाणं / पीईभत्तिगयं खलु तहागमासंगभेयं च // 238 // आहारोवहि सिज्जासु संजओ होइ एस नियमेण / जायइ. अणहो सम्मं इत्तो य चरित्तकाउ त्ति // 239 // . एयासु अवत्तवओ जह चेव विरुद्धसेविणो देहो / . पाउणइ न उणमेवं जइणो विहु धम्मदेहु त्ति // 240 // . 21