________________ ता गंतूणं सिग्धं तिलुत्तमा उत्तमा सुरवहूणं / खोहेउ तवविसिटुं इटेण पिआमहं विहिणा // 65 // तो सा संगयवेसा तिअसाहिववयणगहिअसंदेसा / गंतुं विभुस्स पुरओ दिव्वं पट्टं पयासेइ // 66 // जहणुव्वहणभमिरया उच्छालिअहारमंथरुच्छोहा / घणमसिणंसिअथणहरसुकं पुअपेलवदुगुल्ला // 67 // ललिअपणयंगलट्ठी सकडक्खुब्भेअभुअलयाजुअला / रेहइ पणच्चमाणा पवणेरियचंपयलय व्व // 68 // दट्ठण णच्चमाणं बंभा एगिदिओ व्व संवुत्तो / णिज्झाइ अणिमिसच्छो सेसिदिअमुक्कवावारो // 39 // णाऊण तस्स भावं तो सा संगयमणोहरसुवेसा / विविहाहरणविहूसा दक्खिणपासे ठिया विहुणों // 70 // तो तं अपिच्छमाणो बंभाणो मणसि मणसिजाभिहओ। तं दट्टण सतण्हो करेइ बीअं तओ वयणं / // 71 // इत्तोऽवरेण तइयं चउत्थं कुणइ. उत्तरेणं सो / उड्ढे उप्पइआए पंचमवयणं उवरिहुत्तं // 72 // तो तस्स पमत्तस्स यं तिलुत्तमागयमणस्स रुद्देणं / तं वयणं पंचमयं णहेण उक्खंटिअं सहसा // 73 // तो बंभा परिकुविओ दाहिणहत्थप्पएसिणीए उ / उंव्वट्टेइ णिलाडे असरिसरोसुट्ठिअं सेअं // 74 // तत्थुप्पन्नो सेए बलवंतो सेअकुंडली नाम / बंभेणाणत्तेणं उक्खित्तो संकरो तेणं // 75 // तो सो भयसंभंतो णासंतो बयरिआसमे पत्तो / तत्थ हरी णियमत्थो भिक्खं देहि त्ति संलत्तो // 76 // . . . 271