________________ छटे उण गुणट्ठाणे जइधम्मो दुग्गलंघणं तं च / भणियं भवाडवीए न लोगचिंता तओ इत्थं // 206 // तम्हा नियमेणं चिय जइणो सव्वासवा नियत्तस्स / पढममिह वयणखंती पच्छा पुण धम्मखंति त्ति // 207 // एमेवऽज्जवमद्दवमुत्तीओ हुंति पंचभेयाओ। पुव्वोइयनाएणं जइणो इत्थं पि चरमदुगं // 208 // इहपरलोगादणविक्खं जमणसणाइ चित्तणुट्ठाणं / तं सुद्धनिज्जराफलमित्थ तवो होइ नायव्वो // 209 // आसवदारनिरोहो जमिदियकसायदंडनिग्गहओ / पेहातिजोगकरणं तं सव्वं संजमो नेओ . // 210 // गुरुसुत्ताणुन्नायं जं हियमियभासणं ससमयम्मि / अपरोवतावमणघं तं सच्चं निच्छियं जइणो // 211 // आलोयणाइदसविहजलओ पावमलखालणं विहिणा / जं दव्वसोयजुत्तं तं सोयं जइजणपसत्थं // 212 // पक्खीए उवमाए जं धम्मोवगरणाइरेगेण / वत्थुस्सागहणं खलु तं आकिंचनमिह भणियं // 213 // मेहुणसन्नाविजएण पंचपरियारणापरिच्चाओ। बंभे मणवत्तीए जो सो बंभं सुपरिसुद्धं // 214 // कायफरिसरूवेहिं सद्दमणेहिं च इत्थ पवियारो / रागा मेहुणजोगो. मोहुदयं रइफलो सव्वो // 215 // एयस्साभावम्मि वि नो बंभमणुत्तराण जं तेसिं / बंभे ण मंणोवित्ती तह परिसुद्धासयाभावा // 216 // बंभमिह बंभचारिहिं वन्नियं सव्वमेवऽणुट्ठाणं / तो तम्मि खओवसओ सा मणवित्ती तहिं होइ // 217 // 19