________________ धारेऊण य धारं पयओ अहिवंदिऊण महसेणं / संपत्तो उज्जेणिं तुब्भेहिं समं च मिलिओ हं.. // 29 // तो जइ सच्चं एअं तो मे हेऊहिं पत्तिआवेह / . अह मण्णह अलिअं तं धुत्ताणं देह तो भत्तं' // 30 // अह भणइ कंडरीओ -'को भणिही तुममसच्चवयणं ति / भारह-पुराण-रामायणाणि पुरिसो विआणंतो'.. // 31 // परिभणइ मूलदेवो-'सो हत्थी कुंडिआइ कह माओ / कह भमिओ छम्मासं कमंडले तम्मि वणहत्थी.. // 32 // सुहमच्छिद्देण कमंडलाओ कह णिग्गओ अहं सो अ। . णिग्गंतो वणहत्थी वालग्गंते कहं लग्गो कह गंगा उत्तिण्णा बाहाहिं मए सुदूरपरपारा / कह छम्मासं धरिआ भुक्खिअतिसिएणुदयधारा ?' // 34 // अह भणइ कंडरीओ-'जं सुम्मइ भारहे पुराणे अ / तं जइ सव्वं सच्चं तो सच्चं तुज्झ वि य वयणं // 35 // हत्थी कमंडलुम्मी अहं पि माओ कहं ति जं भणसि / / इत्थ दिआइपसिद्धं वयणं सुण पच्चयणिमित्तं // 36 // बंभाणस्स मुहाओ विप्पा, खत्तियजणो अ बाहासु / उरूसु णिग्गया किर वइसा, सुद्दा य पाएसु // 37 // बंभाणस्स सरीरे जइ माओ इत्तिओ जणसमूहो / तो कह कमंडलुम्मी ण मासि तं वणगयसमग्गो // 38 // अण्णं च बंभ-विण्हू उट्टुं च अहो अ बेवि धावंता ! अंतं जस्स ण पत्ता वाससहस्सेण दिव्वेण // 39 // लिंगं महप्पमाणं कह मायं तस्सुमासरीरम्मिं / एवं जइ कुंडिआएँ हत्थी माओ त्ति को दोसो // 40 // 268