________________ अह भणइ मूलदेवो- 'जं अणुभूअं मए तरुणभावे / तं णिसुणेह अवहिआ कहिज्जमाणं सुजुत्तीए // 17 // तरुणत्तणम्मि अहयं इच्छिअसुहसंपयं अहिलसंतो / धाराधरणहाए सामिगिहं पत्थिओ सुइरं // 18 // छत्तकमंडलुहत्थो पंथं वाहेमि गहिअपच्छयणो / मत्तं पव्वयमित्तं पिच्छामि अ गयवरं इंतं // 19 // मेहमिव गुलगुलिंतं पभिण्णकरडामुहं महामत्तं / दट्टण वणगइंदं भएण वेवंतगत्तो हं // 20 // अत्ताणो अ असरणो कत्थ निलुक्कामि हं ति चिंतंतो / तो सहसा य अइगओ कमंडलुं मरणभयभीओ // 21 // अह सो वि मत्तहत्थी ऊसविअकरो सरोसरत्तच्छो / मज्झाणुमग्गलग्गो कमंडलुं अइगओ सिग्धं // 22 // तो हं भयसंभंतो समंतओ विहुअं पलोअंतो / हत्थिं कमंडलुम्मी वामोहेऊण छम्मासं // 23 // गीवाइ णिग्गओ हं हत्थी वि ममाणुमग्गओ णिन्तो / लग्गो वालग्गंते कुंडअगीवाइ छिद्दम्मि // 24 // अहमवि अ णवरि पुरओ गंगं पिच्छामि रंगिरतरंगं / फेणणिअट्टहासं वणगयदंतक्खयतडग्गं .. // 25 // उम्मीसहस्सपउरं झस-मयर-ग्गाह-कुम्मपरियरियं / जुवइहिअय व्वगाहं उअहि व्व सुदूरपरपारं // 26 // पहमनं अलहंतो तो हं इसुवेअवाहिणि सिग्धं / बाहाहिं समुत्तिण्णो गोपयमिव भारहिं विउलं // 27 // तो सामिगिहं गंतु छुह-तण्हापरिसहेहिं सहमाणो / छम्मासा सीसेणं धरेमि धारा घटाए // 28 // 200