________________ तत्थाभिस्संगो खलु रागो अप्पीइलक्खणो दोसो। अण्णाणं पुण मोहो को पीडइ मं दढमिमेसि // 59 // णाऊण ततो तव्विसयतत्त-परिणइ-विवागदोसे त्ति / चितेज्जाऽऽणाए दढं पइरिक्के- सम्ममुवउत्तो // 60 // गुरु-देवयापणामं काउं पउमासणाइठाणेण।। दंस-मसगाइ काए अगणेतो तग्गयऽज्झप्पो // 6 // गुरु-देवयहि जायइ अणुग्गहो अहिगयस्स तो सिद्धी। एसो य तन्निमित्तो तहाऽऽयभावाओ विण्णेओ __ // 2 // जह चेव मंत-रयणाइएहिं विहिसेवगस्स भव्वस्स। ..... उवगाराभावम्मि वि तेसि होइ त्ति तह एसो * // 63 // ठाणा कायनिरोहो तक्कारीसु बहुमाणभावो य। दंसादिअगणणम्मि वि वीरियजोगो य इट्ठफलो - // 64 // तग्गयचित्तस्स तहोवओगओ तत्तभासणं होति / एयं एत्थ पहाणं अंगं खलु इट्ठसिद्धीए // 65 // एवं खु तत्तणाणं असप्पवित्तिविणिवित्तिसंजणगं / थिरचित्तगारि लोगदुगसाहगं बेंति समयण्णू थीरागम्मी तत्तं तासिं चितेज्ज सम्मबुद्धीए। कलमल-मंस-सोणिय-पुरीस-कंकालपायं ति . // 6 // रोग-जरापरिणामं णरगादिविवागसंगयं अहवा। चलरागपरिणति जीयनासणविवाग दोसं ति // 68 // अत्थे रागम्मि उ अज्जणाइदुक्खसयसंकुलं तत्तं। . गमणपरिणामजुत्तं कुगइविवागं च चिंतेज्जा // 69 // दोसम्मि उ जीवाणं विभिण्णयं एव पोग्गलाणं च। अणवट्ठियं परिणति विवागदोसं च परलोऐ . // 70 // 22