________________ // 71 // // 72 // // 73 // // 74 // // 75 // // 76 // चितेज्जा मोहम्मी ओहेणं ताव वत्थुणो तत्तं / उप्पाय-वय-धुवजुयं अणुहवजुत्तीए सम्मं ति नाभावो च्चिय भावो अतिप्पसंगेण जुज्जइ कयाइ। ण य भावोऽभावो खलु तहासहावत्तऽभावाओ एयस्स उ भावाओ णिवित्ति-अणुवित्तिजोगओ होति / उप्पायादी णेवं अविगारी वऽणुहवविरोहा आणाए चिंतणम्मी तत्तावगमो णिओगओ होति / भावगुणागरबहुमाणओ य कम्मक्खओ परमो पइरिक्के वाघाओ न होइ पाएण योगवसिया य / जायइ तहा पसत्था हंदि अणब्भत्थजोगाणं उवओगो पुण एत्थ विण्णेओ जो समीवजोगो त्ति / विहियकिरियागओ खलु अवितहभावो उ सव्वत्थ एवं अब्भासाओ तत्तं परिणमइ चित्तथेज्जं च। . जायइ भवाणुगामी सिवसुहसंसाहगं परमं अहवा ओहेणं चिय भणियविहाणाओ चेव भावेज्जा / सत्ताइएसु मेत्ताइए गुणे परमसंविग्गो सत्तेसु ताव मेत्तिं तहा पमोयं गुणाहिएK ति / करुणा-मज्झत्थत्ते किलिस्समाणाऽविणेएसु . एसो चेवेत्थ कमो उचियपवित्तीए वण्णिओ साहूं। इहराऽसमंजसत्तं तहातहाऽठाणविणिओया साहारणो पुण विही सुक्काहारो इमस्स विण्णेओ। अण्णत्थओ य एसो उ सव्वसंपक्करी भिक्खा वणलेवोवम्मेणं उचियत्तं तग्गयं निओएणं / एत्थं अवेक्खियव्वं इहराऽयोगो त्ति दोसफलो // 77 // // 78 // // 79 // / / 80 // // 81 // // 82 // 253