________________ // 23 // // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // एएसि पि य पायं बज्झाणायोगओ उ उचियम्मि। अणुठाणम्मि पवित्ती जायइ तह सुपरिसुद्ध त्ति गुरुणा लिंगेहि तओ एएसिं भूमिगं मुणेऊण / उवएसो दायव्वो जहोचियं ओसहाऽऽहरणा पढमस्स लोगधम्मे परपीडावज्जणाइ ओहेणं / गुरु देवा-ऽतिहिपूयाइ दीणदाणाइ अहिगिच्च एवं चिय अवयारो जायइ मग्गम्मि हंदि एयस्स / रण्णे पहपब्भट्ठोऽवट्टाए वट्टमोयरइ बीयस्स उ लोगुत्तरधम्मम्मि अणुव्वयाइ अहिगिच्च / परिसुद्धाणायोगा तस्स तहा भावमासज्ज तस्साऽऽसण्णत्तणओ तम्मि दढं पक्खवायजोगाओ। सिग्धं परिणामाओ सम्मं परिपालणाओ य . तइयस्स पुण विचित्तो तहुत्तरसुजोगसाहगो णेओ। सामाइयाइविसओ णयणिउणं भावसारो त्ति सद्धम्माणुवरोहा वित्ती दाणं च तेण सुविसुद्धं / जिणपुय-भोयणविही संझाणियमो य जोगंतो चिइवंदण जइविस्सामणा य सवणं च धम्मविसयं ति। गिहिणो इमो वि जोगो कि पुण जो भावणामग्गो? एमाइवत्थुविसओ गिहीण उवएस मो मुणेयव्वो / जइणो उण उवएसो सामायारी जहा सव्वा गुरुकुलवासो गुरुतंतयाय उचियविणयस्स करणं च / वसहीपमज्जणाइसु जत्तो तह कालवेक्खाए अणिगृहणा बलम्मी सव्वत्थ पवत्तणं पसंतीए / णियलाभचिंतणं सइ अणुग्गहो मे त्ति गुरुवयणे // 29 // // 30 // // 31 // // 32 // // 33 // // 34 // 59