________________ भवठिइभंगो एसो तह य महापहविसोहणो परमो / नियविरियसमुल्लासो जायइ संपत्तबीयस्स // 149 // संलग्गमाणसमओ धम्मट्ठाणं पि बिति समयण्णू / अवगारिणो वि इत्थट्ठसाहणाओ य सम्मं ति. // 150 // पंचट्ठसव्वभेओवयारजुत्ता य होइ एस त्ति / . जिणचउवीसाजोगोवयारसंपत्तिरूवा य . // 151 // सुद्धं चेव निमित्तं दंव्वं भावेण सोहियव्वं ति / इय एगंतविसुद्धो जायइ एसा तहिट्ठफैला // 152 // सयकारियाइ एसा जायइ ठवणाइ बहुफला केई। . गुरुकारियाइ अन्ने विसिट्ठविहिकारियाए य // 153 // थंडिल्ले वि य एसा मणठवणाए पसत्थिगा चेव / / आगासगोमयाईहिं इत्थमुल्लेवणाइ हिर्य // 154 // उवयारंगा इह सोवओगसाहारणाण इट्ठफला / किंचि विसेसेण तओ सव्वे ते विभइयव्व त्ति . // 155 // एवं कुणमाणाणं एया दुरियक्खओ इहं जम्मे / परलोगम्मि य गोरवभोगा परमं च निव्वाणं // 156 // इक्कं पि उदगबिंदू जह पक्खित्तं महासमुद्दछम्म / . जायइ अक्खयमेयं पूया वि जिणेसु विनेया // 157 // अक्खयभावे भावो मिलिओ तब्भावसाहगो नियमा / / न हु तंबं रसविद्धं पुणो वि तंबत्तणमुवेइ // 158 // तम्हा जिणाण पूया बुहेण सव्वायरेण कायव्वा / . परमं तरंडमेसा जम्हा संसारजलहिम्मि // 159 // एवमिह दव्वपूया लेसुद्देसेण दंसिया समया / इयरा जईण पाओ जोगहिगारे तयं वुच्छं - // 160 // 14