________________ विनेयमभयदाणं परमं मणवयणकायजोगेहिं / / जीवाणमभयकरणं सव्वेसि सव्वहा सम्मं // 126 // उत्तममेयं जम्हा तम्हा णाणुत्तमो तरइ दाउं / अणुपालिउं व दिन्नं पि हंति समभावदारिद्दे // 127 // जिणवयणनाणजोगेण तकुलठिईसमासिएणं च / विनेयमुत्तमत्तं न अन्नहा इत्थ अहिगारे // 128 // दाऊणेयं जो पुण आरंभाइसु पवत्तए मूढो / भावदरिदो नियमा दूरे सो दाणधम्माण // 129 // इहपरलोगेसु भयं जेण न संजायए कयाइयवि / .. . जीवाणं तक्कारी जो सो दाया उ एयस्स // 130 // इय देसओ वि दाया इमस्स एयारिसो तर्हि विसए / इहरा दिन्नुद्दालणपायं एयस्स दाणं ति // 131 // नाणदयाणं खंतीविरईकिरियाइ तं तओ देइ / अन्नो दरिद्दपड़िसेहवयणतुल्लो भवे दाया . // 132 // एवमिहेयं पवरं सव्वेसिं चेव होइ दाणाणं / इत्तो उनिओगेणं एयस्स वि ईसरो दाया // 133 // इय धम्मुवग्गहकरं दाणं असणाइगोयरं तं च / पत्थमिव अन्नकाले य रोगिणो उत्तमं नेयं // 134 // सद्धासक्कारजुयं सकमेण तहोचियम्मि कालम्मि / अन्नाणुवघाएणं वयणा एवं सुपरिसुद्धं // 135 // गुरुणाऽणुन्नायभरो नाओवज्जियधणो य एयस्स / . दाया अदुत्थपरियणवग्गो सम्मं दयालू य // 136 // अणुकंपादाणं पि य अणुकंपागोयरेसु सत्तेसु / . जायइ धम्मोवग्गहहेऊ करुणापहाणस्स // 137 // 12