________________ 9 - पूजास्वरूपम् स्नानविलेपनसुसुगन्धिपुष्पधूपादिभिः शुभैः कान्तम् / विभवानुसारतो यत् काले नियतं विधानेन // 129 // अनुपकृतपरहितरतः शिवदस्त्रिदशेशपूजितो भगवान् / पूज्यो हितकामानामितिभक्त्या पूजनं पूजा // 130 // पञ्चोपचारयुक्ता काचिच्चाष्टोपचारयुक्ता स्यात् / ऋद्धिविशेषादन्या प्रोक्ता सर्वोपचारेति // 131 // न्यायाजितेन परिशोधितेन वित्तेन निरवशेषेण / . . कर्तव्या बुद्धिमता प्रयुक्तसत्सिद्धियोगेन // 132 // शुचिनाऽऽत्मसंयमपरं सितशुभवस्त्रेण वचनसारेण / आशंसारहितेन च तथा तथा भाववृद्ध्योच्चैः // 133 // पिण्डक्रियागुणगतैर्गम्भीरैर्विविधवर्णसंयुक्तैः / आशयविशुद्धिजनकैः संवेगपरायणैः पुण्यैः .. // 134 // पापनिवेदनगर्भे: प्रणिधानपुरस्सरैर्विचित्राथैः / अस्खलितादिगुणयुतैः स्तोत्रैश्च महामतिग्रथितैः (युग्मम्) // 135 // शुभभावार्थं पूजा स्तोत्रेभ्यः स च पर: शुभो भवति / सद्भूतगुणोत्कीर्तनसंवेगात् समरसापत्त्या // 136 // कायादियोगसारा त्रिविधा तच्छुद्ध्युपात्तवित्तेन / या तदतिचाररहिता सा परमाऽन्ये तु समयविदः // 137 // विघ्नोपशमन्याद्या गीताऽभ्युदयप्रसाधनी चान्या / . निर्वाणसाधनीति च फलदा तु यथार्थसंज्ञाभिः // 138 // प्रवरं पुष्पादि सदा चाद्यायां सेवते तु तदाता / आनयति चान्यतोऽपि हि नियमादेव द्वितीयायाम् // 139 // 108