________________ ( 36 ) है, परन्तु पूजार्थ प्रभु के आगे रखा जाने वाला दीपक ही देवद्रव्य के रूप में माना जाता है क्योंकि परिणाम को ही प्रमाण माना जाता है। ____ मतलब कि इधर उसके ऐसे परिणाम ही नहीं हैं कि मैं इस दीपक को देवपूजार्थ उपयोग में लू। सिर्फ, प्रभु दर्शनार्थ ही लाया गया है; परन्तु हाँ, जो दीपक पूजार्थ रखा जायेगा, वह जरूर देवसंबंधी गिना जायेगा। इसी प्रकार का उल्लेख श्राद्धविधि के ७९पृष्ठ पर मिलता है- “स्वगृहार्थकृतदीपस्य देवदर्शनार्थमेव देवाग्ने आनयनेऽपि देवसत्कत्वं न स्यात्, पूजार्थमेक देवान मोचने. तु देवसत्कत्वं / " - अर्थात्-अपने घर के एलि किया हुआ दीपक, यदि देवदर्शनार्थ ही प्रभु के आगे लाया जाय, तो भी वह देवद्रव्यरूप में नहीं माना जाता है, सिर्फ पूजार्थ प्रभु के आगे रखा हुआ दीपक ही देवद्रव्यरूप माना जाता __आगे श्राद्धविधि के उसी पृष्ठ पर कहा गया है कि"स्वसत्कं तु साबाणजवनिकादि कियद्दिनानि देवग:हादौ विलोक्यमानत्वेन व्यापारणाय मुक्तमपि देवादिसत्कं न स्यात्, अभिप्रायस्यैव प्रमाणीकरणात् / अन्यथा स्वभाजनस्थनैवेद्यढोकने भाजनानामपि देवसत्कीभवन