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________________ ( 26 ) का द्रव्य देवद्रव्य में अबतक ले जाया जाता रहा उसे अब श्री संघ साधारण खाते में ले जाने का निर्णय करना चाहे तो खुशी से कर सकता है। पहले भी देवद्रव्य की आय के साधनों में परिवर्तन होता ही रहा है देखिए श्राद्धविधि के पंचमप्रकाश में श्रावकों को करने योग्य वाषिक कृत्यों का विवेचन किया गया है। उनमें से पंचम (पाँचवा) कृत्य 'जिणधणवुड्ढी' अर्थात् 'जिनद्रव्य की वृद्धि' भी बताया गया है। इस जिनद्रव्य की वृद्धि किस प्रकार से करना है इस संबंध में विवेचन करते हुए टीकाकार स्वयं कहते हैं"जिनधनस्य देवद्रव्यस्य वृद्धिर्मालोद्घट्टनेन्द्रमालादिपरिधानपरिधापनिकाधौतिकादिमोचनद्रव्योत्सर्पणपूर्वकारात्रिकविधानादिना"। (देखिए पृष्ठ 161) ___ अर्थात् श्रावकों को प्रतिवर्ष देवद्रव्य की वृद्धि हेतु निम्नलिखित कार्य करने चाहिए- . माला पहिनना, इन्द्रमालादि पहिनना, पहेरामणी और धौतिये ( कपड़े ) वगै रह रखना तथा द्रव्य निक्षेप पूर्वक ( रखकर ) आरती उतारना / कोई भी वाचक देख सकता है कि उपयुक्त पाठ में चढ़ावे या बोली का नामोनिशान नहीं है तथा ये कृत्य भी ऐसे हैं कि उनमें बोली या चढ़ावा की आवश्यकता
SR No.004448
Book TitleDevdravya Sambandhi Mere Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsuri
PublisherMumukshu
Publication Year
Total Pages130
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size6 MB
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