________________ ( 25 ) यह तो सत्य ही है कि जिस समय जिसकी आवश्यकता होती है उसकी पूर्ति हेतु ही उस तरफ लोगों का ध्यान जाता है और जाना भी चाहिए। श्रीहीर विजय सूरि महाराज के उपयुक्त प्रबल प्रमाण के पश्चात् बोली के रिवाज संबंधी अन्य विशेष प्रमाणों की आवश्यकता भी नहीं रहती है। श्री हीर विजय सूरि महाराज जैसे परम प्रभावक एवं सर्वमान्य गीतार्थ आचार्य श्री के वचन से यह सिद्ध हो चुका है कि___"बोली बोलना, यह सुविहित और आचरित नहीं है तथा कितनी ही बोलियाँ के द्रव्य को जिनभवनादि के निर्वाह के अन्य साधन नहीं होने के कारण देवद्रव्यादि में ले जाने का निर्णय किया गया / " अब हम इस बात पर विचार करेंगे कि जिन बोलियाँ का द्रव्य अभी तक देवद्रव्य में ले जाया जाता रहा है, उन बोलियाँ के द्रव्य को अब साधारण खाते में ले जाने का संघ निर्णय कर सकता है या नहीं ! यह बात तो मैं प्रथम ही कह चुका हूं कि भिन्नभिन्न कारणों से चल पड़े रिति-रिवाजों में समय-सयम पर परिवर्तन होता ही रहता है। इसी प्रकार इस रिवाज में भी परिवर्तन कर दिया जाये अर्थात् बोली