________________ ए अतिसय चउतीस, सामी तुअ तणि सवि वसइ / मू मणि एह जगीस, जाणउ जइ तउ इउ लगउ।। 18 / / तूं माया तूं तात, तूं बांधव तूं मज्झ गुरु। तउं विणु नहीउ पाउ, सुगति पंच पंचिय जणहं / / 19 / / तउ पर परमानंद, परमपुरुष तउं परमपउ। तई मोडिय भवकंदु, तइं अणुबंधित कलपतरु।। 20 / / निय पय पंकय सेव, विमलाचलमंडण रिसह। अह निसि देजे देव, अवरु न कांई इच्छिय ए।। 21 / / // सर्व जिन चउतीस अतिसय वीनती।। [अनुसंधान अंक-५२] 000 360 लेख संग्रह