________________ जाणहु ए धम्मह भेउ, दाणु सीलु तपु भावणइ / देसण एइ मणि सुणे वि गुरु वंदिवि जं घरि गयउ।। 19 / / धोवंतीए मिल्हि वि ठाइं, तव वसाउ समाचरइ। प्राइहिं ए पापहं चाइ, न्याइहिं धणु कणु मेलवए।। 20 / / द्वितीय भाषा (घत्ता) कहउं पनरस कहउं पनरस कम्म आदाण। इंगाली-वण-सगड भाड-फोड-जीविय-विवज्जर।। दंत-लक्ख-रस-केस-विस-वणिज कजि म कया विसज्ज।। जंत-पीड-निल्लंछणइ-असईय पोस दव दाणु। सर-दहसोसु सो किम करइ हवइ सुमाणु सुजाणु।। 21 / / लोहकार सुनार ठठार भाडइ भुंजअन्नं कुंभार / अनुखीरोये जिन रचिकंति ते इंगाली कंमि लयंति।। 22 / / कंद कउ तृण वण फल फुल्लइ विक्कहिं पन्न जि लब्भइ मुल्लइ / खंडणु पीसणु दलणु जु कीजइ वणि वियाजु कंमु सोवि कहिजइ / / 23 / / घड हिं सगड जे वाहइ वी कहि, तीजइ कम्म दाणि ति ढूकहिं। खर वेसर महिं सुद्द बलिद्दा, भाडइ भारु वहावि सद्दा / / 24 / / कूव सरोवर खाणि खणंति, अंनु विउड कंमु जि करंति। सिला कुट्ठ कंमू हल खेडणु, फोडी कंमु जु भूमिहिं फोडणु।। 25 / / . दंत केस नह रोमइ चम्मइ, संख कवड्डइ जो सइ सुम्मइ। कसथूरी आगइ जु वि साहइ, सो नरु आवइ धमु विराहइ / / 26 / / लाख गली धाहडीय महवा, टंकण मणसिल वणिज महवा / तुवरी वजाल वस कूडा, हरियाला नहु होही रुवडा।। 27 / / सुरवस आमिसु अनु माखणु, रस वणिज्जु किम करइ वियक्खणु। दुप्पय चउप्पय वणिजि जु लग्गउ, केस वणिज नेमु तिणि भग्गउ।। 28 / / विस कंकसिया हल हथियारा, गंधक लोह जि जीवहं मारा। ऊखल अरहट घटं रट वणिज्ज, इम विस वणिजु करइ जु अणज्जु / / 29 / / घाणी कोल्हू अरवहट वाहइ, अनुदलि एलउ जु कुवि करावइ। इणि परि कहियइ कम्मादाणु जंत पीड परिहरइ सुजाणु।। 30 / / जोयण निग्घिणु अंक दियावइ, वीधइ नाकु मुक्क छेदावइ / गाइ कन्न गल कंवल कप्पइ, सो णिल्लंछण दोसिहिं लिप्पइ / / 31 / / कुक्कुड कुक्कड मोर बिलाई, पोसंतहं नहु होइ भलाई / सूवा सारो अंनु परेवा, धम्म धुरंधर नहीं धरेवा।। 32 / / देवु देविणु घणु जीउ म मारहु, सरदह नइ जलु सोसु निवारहु। पनरह कम्मादाण विचारु, जाणिवि करि सूधउ ववहारु।। 33 / / 344 लेख संग्रह