________________ तम्मिहिं इहु परलोय, करमिहि इहलोउ पुणु।। तह. नर आउ न होउ, जसु तहं रवि ऊगमइ / / 4 / / तउ धम्मिउं उढेइ, निसि चउघडियइ पाछिलए। जिणि नवकारु पढेइ, पहिलउ मंगलु मंगलहं / / 5 / / तक्खणि मेल्हवि खाट कवणु देवु अम्ह कवणु गुरो। अम्ह कवण कुल वाट कवण धम्म इह लोग पुणु / / 6 / / कइ घरि कइ पोसाल, लियउ सामाइकु पडिक्कमउ। . पच्चक्खाणु प्रह कालि जं सक्कउ तं पच्चखउ।। 7 / / घात (घत्ता) अरिरि संभरि अरिरि संभरि-दव्व सचित्त विगईय। तहं पाणइय वत्थ कुसुम, तंबोल वाहण सयल। सरीर विलेवणइ बंभचेर, दिसि न्हाण भोयणए। जो जाणई चउद ए पय, नितु नितु करइ प्रमाणु / सो नरु निश्चइ पामिसी, देवहं तणउं विमाणु / / 8 / / सयरह ए सोवु करेवि, धोवति पहिरवि रुवडी अ। पूजहु ए भाउ धरेवि, घर देवालइ देउ जिणु / / 9 / / गंधिहिं ए धूविहि सार, अक्खिहिं पुल्लिहिं दीवइहिं। नेवजिए फलिफार, अट्ठ पगारीय पूज इम।। 10 / / देवहं ए तणउं जु देउ, पूजहु जाइ वि जिण-भवणि। निम्मलु ए अकलु अभेउ, अजरु अमरु अरहंत पहु।। 11 / / पक्खिहिं ए मुक्खि तुरंतु, राग दोस सवे जो जिणए। रयणिहि ए बिहु सोहंतु, नाणिहिं दंसणि चारितिहिं / / 12 / / मिल्हिउ ए चउहिं कसाय, पंच महव्वय भारु धरु। छव्विहिं ए जीव निकाय, सदय मनु सत्त भय जो चयइ / / 13 / / अट्ठिहिं ए गदिहिं मुक्क, बंभगुपिति नव सीचवइ / आलसी ए खण वि न इकु दस दसविह धम्मु समुद्धरणु।। 14 / / जाइवी ए पोसह साल, एरिसु दुह गुरु वांदियइ / माणुस ए ति किरि सियाल जाहन देउ न धम्म गुरु।। 15 / / अक्खई ए सुह गुरु धम्मु, सावधाण धम्मिय सुणहु। धम्मह मूलुमरंभु जीवदया जं पालियउ।। 16 / / झूठउ ए मं बोलेह, आलु दियं तहं आलुसउ। देखि वि ए कहई भूलेहु, परधणु तृणु जिम मन्नियई / / 17 / / निय तिय ए करि संतोस पर तिय मन्नह मा बहिण। परिहरि ए कूडउ सो सुकरि, परिमाणु परिग्गहहं / / 18 / / लेख संग्रह 343