________________ का या भुवि सर्वकारणमयी ज्ञात्वेति भो ईश्वरी। तस्याध्यायत पादपङ्कजयुगं तद्ध्यानलीनाशयाः॥ 3 // श्री भूरिधर्म...........सूरी रसमयसमयाम्भोनिधेः पारदृश्वा। विश्वेषां शाश्वदाशासुरतरुसदृशस्त्याजितप्राणिहिंसाम्। सम्यग्दृष्टि....... .......मनणुगुणगणां गोत्रदेवी गरिष्ठां। कृत्वा सूराणवंशे जिनमतनिरतां यां चकारात्मशक्त्या॥४॥ तद् यात्रां महता महेन ....विधिवद्विज्ञो विधाया खिले निर्गे मार्गण चातकण (?) गुणः सम्भारटकच्छटः। जातः क्षेत्रफले ग्रहिर्मरुधराधाधरः ख्यातिमान् (10) संवेशः शिवराज इत्ययमहो चित्रं न गर्जिध्वजः॥५॥ तत्पुत्रः सच्चरित्रे वचनरचनया भूमिराजः समाजा(११) लङ्कारा स्मारसारो विहितनिजहितो हेमराजो महौजाः। चङ्गप्रोत्तुङ्गशृङ्गं भुवि भवनमिदं देवयानोपमान। (12) गोत्राधिष्ठातृदेव्याः प्रसृमरकिरणं कारयामास भक्त्या॥६॥ सम्वत् 1473 वर्षे ज्येष्ठमासे सित्तपक्षे पूर्णिमा(१३) स्यां शुक्रेनुराधायां खीमकर्णे श्री सूराणवंशे सं० गोसल तत्पुत्र सं० शिवराज तत्पुत्र सं० हेमराज तद्भार्या सं० हेमश्री त(१४) त्पुत्र सं० ध (१पूं) जा सं. काजा सं. नाल्हा सं० नरदेव सं० पूजा भार्या प्रतापदे पुत्र सं० चाहड सं० पाटमदे पुत्र सं० रणधीर। (15) सं० नाथू सं० देवा सं० रणधीर पुत्र देवीदास सं० काजा भार्या कउतिगदे पुत्र सं० सहसमल्ल सं० रणमल। (16) सहसमल्ल पुत्र मांडण। रणमल पुत्र खेता (खी) मा। सं० नाल्हा पुत्र सं० सीहमल्ल पु० पीथा सं० नरदेव पुत्र मोकला(१७) दिसहितेन। सं० चाहडेन प्रतिष्ठा कारिता सपरिकरेण श्रीपद्माणंदसूरि तत्पट्टे भ० श्री नन्दिवर्द्धनसूरीश्वरेभ्यः ( / ) इस लेख में महत्वपूर्ण एवं ज्ञातव्य बातें निम्नलिखित हैं: 1. सुसाणी देवी जिसे श्री धर्मसूरिजी ने प्रतिबोध देकर, हिंसा-त्याग की प्रतिज्ञा करवा कर सम्यक्त्व धारिणी देवी बनाया और सुराणा गोत्र की गोत्रदेवी (कुलदेवी) के रूप में उसे प्रतिष्ठापित किया। 2. मरुधर देश का आधार और ख्यातिमान सङ्घपति शिवराज ने बड़े महोत्सव के साथ विधिवत् गोत्राधिष्ठातृ सुसाणी देवी की यात्रा की। ___3. सङ्घपति शिवराज के पुत्र समाज के अलंकारभूत हेमराज ने गोत्र की अधिष्ठात्री देवी का सुन्दर, उत्तुङ्ग शिखरयुक्त और देवविमान सदृश मन्दिर का निर्माण करवाया। लेख संग्रह 309