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________________ गुणधर लाल देवराज हाला तोला गोशल शिवराज हेमराज (पत्नी-हेमश्री) नाला पुंजराज काजराज नरदेव (पत्नी-पाटिमदेवी) (पत्नी-कऊतिगदेवी) (पत्नी-नारिंगदे) (पत्नी-गूर्जरी) 1 सिंहमल देवदत्त सहस्त्रमल्ल रणमल्ल चाहड रणधीर श्रीनाथ देवीदास मोल्लण ने धर्मघोषसूरि से जैन धर्म अङ्गीकार कर श्रावक व्रत स्वीकार किये थे। वामदेव ने शाकम्भरी के साल्हणराज आदि तीन राजाओं की मन्त्रीमुद्रा धारण की थी। यहाँ यह विचारणीय है कि अथ गुरुक्रमःश्रीराजगच्छमुकुरोपमशीलभद्रसूरेविनेयतिलकः किल धर्मसूरिः। दुर्वादिगर्वभरसिन्धुरसिंहनादः श्रीविग्रहक्षितिपतेर्दलितप्रमादः॥१८॥ आनन्दसूरिशिष्य श्रीअमरप्रभसूरितः। श्रुत्वोपदेशं कल्पस्य पुस्तिकां नूतनामिमाम् // 19 // उद्यमात् सोमसिंहस्य सपुण्यः पुण्यहेतवे। अलेखयच्छुभालेखां निजमातुर्गुणश्रियः॥२०॥ यायच्चिरं धर्म धराधिराजः सेवाकृतां सुकृतिनां वितनोति लक्ष्मीम्। मुनीन्द्रहवृन्दैरिह वाच्यमाना तावत्मुदं यच्छतु पुस्तिकाऽसौ // 21 // संवत् 1344 वर्षे मार्ग० शुदि 2 रवौ सोमसिंहेन लिखापिता॥ जैन पुस्तक प्रशस्ति संग्रह, पृ० 35 1. 306 लेख संग्रह
SR No.004446
Book TitleLekh Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRander Road Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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