________________ 'गर्जनाद् वार्षिकदण्डं लातुं' से स्पष्ट है कि बादशाह गजनी से प्रतिवर्ष कर (दण्ड) पृथ्वीराज चौहान वसूल करते थे। 74 अङ्क के सम्बन्ध में तो आज भी प्राचीन परम्परा के पत्रों में, पत्र की मोड़ के ऊपर * " // 74 // " का अङ्क देकर नाम लिखने की परम्परा प्रचलित है। 3. हेमराज की वंश परम्परा ___ प्रशस्ति के अनुसार संघवी हेमराज सुराणा का वंश वृक्ष इस प्रकार बनता है: परमारवंशी राजा मधुदेव सूरदेव श्यामलेन्द्र मोल्लण वामदेव श्रीनिधिरुस्तबाह आसधर धनेश्वर चम्पक राजसिंह गणाधरी 2. उपर्युक्त मधुदेव का परम्परा में ११वें स्थान पर गणाधरी का नाम आया है। सं० 1344 में लिखित कल्पसूत्र-कालिकाचार्य कथापुस्तिका प्रशस्ति में 'गणहरि' आया है, संभवतः गणाधरी और गणहरि एक हों। यह प्रशस्ति सुराणा वंश की दृष्टि से तथा इस परम्परा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है: 'ऊकेशवंशे भुवनाभिरामच्छाया समाश्वासितसत्त्वसार्था / सके शौराणकीयाऽस्ति विशालशाखा साकारपत्रावलि राजमाना // 1 // तमाभवद् भवभयच्छिदुरार्हदहिराजीव जीवित सदाशयराजहंसः। पूर्वः प्रमान् गणहरिर्गणिधारिसार से........... ......यान् थिरदेवस्य हरिदेवोऽस्ति [बान्धवः] / हर्षदेवी भवाः पुत्रा नरसिंहादयोऽस्य च // 15 / / सहोदर्य सपौनस्य लष्मिणिर्द्धर्मकर्मठा। कर्मिणि-रिहंसणिश्च पुत्र्यस्तिस्रो गुणश्रियः॥ 16 // गुणधरस्य यो भ्राता कनिष्ठो धुन्धुकाभिधः। खेढा नामास्ति तत्पुत्रः, पवित्र गुणसन्ततिः॥ 17 // लेख संग्रह 305